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तीन माह में मॉडल बन जाएगा टनकपुर का आईटीआई

चंपावत। जिले के सबसे पुराने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) टनकपुर की तस्वीर अगले तीन महीने में बदल जाएगी। विश्व बैंक की मदद से यह संस्थान मॉडल आईटीआई बन जाएगा। इसका करीब 90 प्रतिशत काम पूरा करा लिया गया है। मॉडल आईटीआई बनने से प्रशिक्षण का परंपरागत ढर्रा बदलेगा। आधुनिक तकनीक के उपयोग से प्रशिक्षण की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। मॉडल आईटीआई का काम पूरा होने के बाद इसका संचालन राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के अनुरूप किया जाएगा। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

वर्ष 1976 में स्थापित सेनानी पूर्णानंद जोशी आईटीआई टनकपुर प्रदेश के सबसे पुराने आईटीआई में से एक है। फिलहाल यहां सात चल रहे हैं। इनमें इलेक्ट्रीशियन, इलेक्ट्रॉनिक, मोटर मैकेनिक, फिटर, स्टेनो, फैशन डिजाइनिंग, कटिंग एवं सिलाई शामिल हैं। इन ट्रेडों में 172 छात्र-छात्राएं प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस आईटीआई को विश्व बैंक की मदद से पच्चीस करोड़ रुपये की लागत से मॉडल आईटीआई बनाया जा रहा है। आधारभूत ढांचे को बेहतर करने के साथ प्रशिक्षण के लिए इंटरनेट तकनीक की मदद ली जाएगी। संवाद

मॉडल आईटीआई बनाने के लिए जरूरी आधारभूत सुविधाएं तैयार की जा रहीं हैं। कार्यदायी संस्था ब्रिडकुल ने करीब 90 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। अगले तीन महीने में इस काम को पूरा होने की उम्मीद है। मॉडल आईटीआई बनने से प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होने से रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। – कवींद्र सिंह कन्याल, प्रधानाचार्य, आईटीआई, टनकपुर।
मॉडल आईटीआई बनने से ये होंगे लाभ
वर्तमान दौर की जरूरतों के अनुरूप उद्योग आधारित पाठ्यक्रमों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
नई तकनीक का उपयोग होने से प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होगा।
फोरमैन और अन्य प्रशिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने के साथ आधुनिक पाठ्यक्रम जोड़े जाएंगे।

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