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हल्द्वानी सिटी फारेस्ट के लिए अब पेड़ों पर नहीं चलेगी आरी, वन विभाग की कार्ययोजना के कारण अटक गया था प्रोजेक्ट

हल्द्वानी :  सिटी फारेस्ट पर छाए संकट के बादल अब दूर होने की संभावना है। पूर्व में बनी दस साल की कार्ययोजना के अनुसार यह क्षेत्र आरक्षित दायरे में था, इसलिए संरक्षित प्रजाति के पेड़ों के कटान पर प्रतिबंध था। कार्ययोजना के विपरीत जमीन का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता था। ऐसे में सिटी फारेस्ट का भविष्य ही असमंजस में पड़ गया था। अब वन विभाग नया डिजाइन बनाने में जुटा है ताकि बगैर पेड़ों का कटान किए अहम प्रोजेक्ट को धरातल पर उतार जा सके।

दो साल पहले शुरू हुई थी कवायद

दो साल पहले हल्द्वानी में सिटी फारेस्ट को लेकर कवायद शुरू हुई थी। नगर निगम व वन विभाग के अधिकारियों ने तब संयुक्त निरीक्षण के बाद रामपुर रोड स्थित चीड़ डिपो को बेहतर बताया। सिटी फारेस्ट के लिए दस हेक्टेयर जमीन चिह्नित की। यह तराई केंद्रीय डिवीजन की हल्द्वानी रेंज का हिस्सा थी। इसके बाद डिजाइन तैयार करने के साथ लैंड यूज (जगह का इस्तेमाल) करने की प्रक्रिया भी आगे बढ़ी लेकिन कार्ययोजना की वजह से मामला अटक गया।

वन विभाग ने डिजाइन में किया बदलाव

वन विभाग आरक्षित क्षेत्र में अगले दस साल की कार्ययोजना पहले ही तैयार करता है। यहां पेड़ों का कटान होगा है या नहीं, किस प्रजाति को संरक्षित किया जाएगा, जैसे बिंदु कार्ययोजना से ही तैयार होते है। कार्ययोजना में इस क्षेत्र को संरक्षित श्रेणी में डाला गया था। यानी पेड़ों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। ऐसे में सिटी फारेस्ट प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में पड़ गया। अब वन विभाग डिजाइन में बदलाव कर नए सिरे से शुरुआत में जुटा है।

500 पेड़, उम्र पूरी कर चुके पापुलर-यूकेलिप्टस हटेंगे

चीड़ डिपो में खैर, सागौन, शीशम, अमलताश के अलावा यूकेलिप्टस और पापुलर के पेड़ भी लगे हैं। कुल संख्या 500 है। कुछ पेड़ पूरी तरह सूख चुके हैं। इनके अलावा उम्र पूरी कर चुके पापुलर और यूकेलिप्टस को यहां से हटाया जाएगा। शेष को सिटी फारेस्ट का हिस्सा मान संरक्षित किया जाएगा।

क्या है सिटी फारेस्ट

पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए लोगों के मनोरंजन के लिए सिटी फारेस्ट बनना था। सैर व साइकिलिंग ट्रैक, बच्चों के लिए पार्क और ओपन जिम भी यहां दिखता। वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए स्मृति वाटिका निर्माण संग औषधीय पौधों को लगाने का प्रस्ताव भी बनाया था। इसके अलावा बड़ी स्क्रीन के जरिये यहां पहुंचने वाले लोगों को बताया जाता है कि अलग-अलग वनस्पति प्रजातियों का क्या महत्व है।

कार्ययोजना की वजह से मामला अटक रहा था। डिजाइन में बदलाव किया जा रहा है ताकि सिटी फारेस्ट के लिए पेड़ों को काटने की जरूरत न पड़े।

-दीप चंद्र आर्य, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त

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