उत्तराखंड को नमामि गंगे में जल्द मिलेगी 100 करोड़ की सौगात, मिशन 12 योजनाओं की डीपीआर का करा रहा परीक्षण
देहरादून:उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता एवं निर्मलता के उद्देश्य से चल रही नमामि गंगे परियोजना में राज्य को जल्द ही सौ करोड़ रुपये की लागत की योजनाओं की सौगात मिल सकती है।
इस संबंध में राज्य की ओर से भेजी गई 12 योजनाओं की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) का राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन परीक्षण करा रहा है। नमामि गंगे परियोजना में इस वर्ष मई से सितंबर तक उत्तराखंड के लिए 261 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं।
गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा तटों से लगे 15 नगरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और नालों की टैपिंग का कार्य लगभग पूर्ण होने के बाद सरकार ने गंगा की सहायक नदियों पर ध्यान केंद्रित किया।
इस कड़ी में विभिन्न नदियों के प्रदूषित क्षेत्रों को नमामि गंगे परियोजना में शामिल करने के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को प्रस्ताव निरंतरता में भेजे जा रहे हैं। मिशन द्वारा इन प्रस्तावों को स्वीकृतियां भी दी जा रही हैं। इसी वर्ष मई में 43 करोड़, जुलाई में 25 करोड़, अगस्त में 118 करोड़ और सितंबर में 75 करोड़ रुपये की लागत की योजनाओं को स्वीकृति मिल चुकी है
हाल में राज्य की ओर से 100.24 करोड़ की योजनाओं के प्रस्ताव मिशन को भेजे गए और फिर इनकी डीपीआर भी भेज दी गई।अपर सचिव एवं राज्य में नमामि गंगे परियोजना के कार्यक्रम निदेशक उदयराज के अनुसार जिन योजनाओं की डीपीआर भेजी गई है, उनमें राज्य में चल रहे एसटीपी में प्रवाह निगरानी प्रणाली विकसित करना मुख्य है।
इसके अलावा देहरादून के पांच स्थानों में रसोई व स्नानघरों से निकलने वाले पानी को शुद्ध करने को जोहकासो तकनीकी का उपयोग, हरिद्वार, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चंपावत में विभिन्न नदियों में स्नानघाट व श्मशान घाटों का निर्माण और मुनिकी रेती में घाट स्वच्छता संबंधी कार्य भी डीपीआर में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने इन डीपीआर का परीक्षण शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही इन्हें हरी झंडी मिल जाएगी।