ईको पार्क से मिलेगी डांडाचली को नई पहचान, पर्यटकों को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल की होगी अनुभूति
नई टिहरी, देवदार व बांज के घने जंगल के बीच मंद-मंद बहती ठंडी हवा और पक्षियों का मधुर कलरव प्रकृति प्रेमियों को एक अलग ही लोक में ले जाता है। जंगल के सन्नाटे में जमीन पर गिरे सूखे पत्तों पर चलते हुए उनकी चरचराहट एक अजीब तरह के सुकून का एहसास कराती है। यह नजारा है टिहरी जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल डांडाचली का।
जिला मुख्यालय नई टिहरी से मात्र 15 किमी की दूरी पर पूरी तरह शोर-शराबे से दूर इस खूबसूरत स्थल को अब पर्यटन विभाग ईको पार्क के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है। इसके बाद डांडाचली देश-विदेश के पर्यटकों को एक विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल की अनुभूति कराएगा
पांच वर्ग किमी में देवदार व बांज के घने जंगल से घिरे डांडाचली क्षेत्र में प्रकृति ने खुले मन से नेमतें बरसाई हैं। वाइल्ड लाइफ से भरपूर इस क्षेत्र में गुलदार, भालू, सेही, घुरल जैसे वन्यजीव बहुतायत में हैं। जंगल में विभिन्न प्रजाति के पक्षियों की भी भरमार है। डांडाचली का मौसम जून की गर्मी में भी ठंडक का एहसास कराता है। जबकि दिसंबर व जनवरी में यहां चार से पांच फीट तक बर्फ जम जाती है।
हालांकि, अभी यहां ठहरने के लिए होटल आदि की व्यवस्था न होने के कारण पर्यटकों को शाम ढलने से पूर्व ही चंबा या नई टिहरी वापस लौटना पड़ता है। बावजूद इसके पर्यटकों की आवाजाही निरंतर बनी रहती है। नए साल का जश्न मनाने के लिए हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक डांडाचली पहुंचते हैं। लेकिन, पर्यटन मानचित्र पर न होने के कारण यहां आने वाले पर्यटकों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखा जाता।
गौंसारी के जिला पंचायत सदस्य सतेंद्र धनोला कहते हैं कि डांडाचली में ईको पार्क बनने पर स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। पर्यटकों की आमद बढ़ने से यहां दुकान व होम स्टे तो खुलेंगे ही, रोजगार के अन्य साधन भी विकसित होंगे।
जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी कहते हैं कि डांडाचली के प्रति देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण को देखते हुए यहां ईको पार्क बनाने का प्रस्ताव शासन में भेजा गया है। मंजूरी मिलने के बाद यहां देवदार के जंगल में नेचर ट्रैक बनाए जाएंगे। मचान, व्यू प्वाइंट और साहसिक खेलों की सुविधा भी पर्यटकों को मिलेगी। इसके अलावा बर्मा ब्रिज, वुडन व ग्लास हाउस रेस्तरां और माउंटेन बाइक ट्रैक भी यहां पर बनाए जाएंगे।
