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पत्नी के शरीर में प्रेत है, बच्चा खा जाता है:कई जगह इलाज कराया कोई फायदा नहीं, बालाजी महाराज के डर से प्रेत भाग जाएगा

हजारों की भीड़। कोई दीवारों पर जोर-जोर से सिर पटक रहा है। कोई अपने बाल खींच रहा है, कोई गला फाड़कर चीख रहा है, कोई रो रहा है। किसी ने खुद को लोहे की चेन से बांध रखा है, तो कोई सड़कों पर बेसुध भागा जा रहा है। यह सब देखकर मन सिहर उठता है। ये नजारा है मेहंदीपुर बालाजी धाम का।

पंथ सीरीज में भूत-प्रेत, माया और इनसे जुड़ी आस्था को समझने मैं पहुंची जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी धाम।

सुबह 10 बजे का वक्त। मंदिर खचाखच भरा है। पैर रखने की भी जगह नहीं है। सामने 26-27 साल की एक महिला जमीन पर बैठी है। उसके दोनों हाथ रस्सी से बंधे हैं। बाल बिखरे हैं, जोर-जोर से जमीन पर सिर पटक रही है। जब थक जाती है तो आसमान की ओर देखने लगती है। फिर रस्सी के सहारे उठने की कोशिश करती है, लेकिन संभल नहीं पाती।

पास खड़ा एक शख्स महिला की हरकतों को देखकर खुश होता है। मैं उससे पूछती हूं कहां से आए हो? यह कौन है?

जयपुर से ही आया हूं, ये मेरी पत्नी है। अक्सर बीमार रहती है।

डॉक्टर को नहीं दिखाया?

अरे ये कोई डॉक्टर को दिखाने की बीमारी है… इसके शरीर में भूत घुसा है। चुप-चाप देखो कैसे प्रेत सरकार के सामने वो भूत प्रकट हुआ है, जोर-जोर से चीख रहा है। थोड़ी देर बाद बालाजी के सामने भी प्रकट होगा।

इटावा के अमित पेशे से दर्जी हैं और गुड़गांव में काम करते हैं। एक दिन में 500 रुपए तक कमा लेते हैं। वे अपनी मां को लेकर यहां आए हैं। उनकी मां जोर-जोर से अपने बाल खींच रही हैं, जमीन पर सिर पटक रही हैं।

कहते हैं, ‘मां के अंदर प्रेतात्मा आती थी तो ये हिलने लगती थीं, चीखने लगती थीं। लोग कहते हैं कि तुम्हारी मां पागल है, लेकिन मैं नहीं मानता। जब मेरी मां पहले ठीक थीं, तो अचानक पागल कैसे हो जाएंगी? मैंने डॉक्टर से भी दिखाया, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। इनके अंदर प्रेत ही घुसा है। वो प्रेत रोज मां से कहलवाता था कि बालाजी चल, बालाजी चल।

इतना ही नहीं मेरी पत्नी का गर्भ नहीं ठहरता है। प्रेत बार-बार बच्चा गिरा देता है। परिवार के बाकी लोग भी अक्सर बीमार ही रहते हैं। इसलिए मैं यहां आया हूं।’

यहां से मैं आगे बढ़ी। 13-14 साल का एक लड़का जोर-जोर से अपनी मां को गालियां दे रहा है। उसके सिर पर उंगली रख के बुरी तरह लताड़ रहा है। मैं सोचती हूं कि अपनी मां के साथ ऐसा कौन करता है, लेकिन बेबस मां हाथ जोड़कर माफी मांग रही है कि मेरे बेटे को छोड़ दो, उसके शरीर से निकल जाओ। उन्हें भरोसा है कि यहां आने से उनके बेटे के शरीर से भूत भाग जाएगा।

UP के अलीगढ़ से एक परिवार आया है। दो लोग जबरदस्ती एक औरत का माथा जमीन पर रगड़वा रहे हैं। वे मोबाइल से उसके कानों में हनुमान चालीसा सुना रहे हैं। औरत कभी रोती है, तो कभी जोर-जोर से चीखने लगती है।

मैंने एक महिला से पूछा क्या हुआ है इन्हें ? वह बताती है, ‘यह मेरी दीदी हैं। दो साल से बीमार रहती हैं। उनके पेट से 21 पथरी निकली है। जरूर उसके ऊपर किसी आत्मा का साया है। बस वही इलाज करवाने के लिए आए हैं।’

50-55 साल के एक शख्स बेटी की शादी का कार्ड बालाजी को देने के लिए आए हैं। कहते हैं- हर साल बालाजी धाम आता हूं। पत्नी को मानसिक दिक्कत थी, कोई आराम नहीं मिल रहा था। यहां आने से वह ठीक हो गई। अब छोटी बेटी की शादी है, तो पहला निमंत्रण बालाजी को देने आया हूं।’

जहां तक मेरी नजर जाती है, ज्यादातर लोग ऐसे ही दिखते हैं। सबसे ज्यादा लोग UP से आए हैं। इनकी माली हालात भी अच्छी नहीं हैं। इनमें महिलाओं और लड़कियों की संख्या ज्यादा है।

भूत और प्रेतात्माओं को भगाने के नाम पर यहां पहुंचे ज्यादातर लोग बात नहीं करना चाहते। उन्हें लगता है कि उनकी पहचान जाहिर हो जाएगी। दुकानदारों ने मुझे आगाह किया मैडम मोबाइल मत निकालिए। लोग आपको मारने लगेंगे और कोई कुछ कर भी नहीं पाएगा।

मैंने छुपकर मोबाइल से कुछ फोटो और वीडियो लिए। इस बीच दो बार लोग मेरे पीछे भी पड़ गए कि मोबाइल से क्या कर रही हो। हाथ में कॉपी और पेंसिल क्यों ली हो। क्या लिख रही हो। तुम लोगों से सवाल क्यों कर रही हो। जैसे-तैसे मैं इन्हें समझाकर आगे बढ़ती हूं।

शनिवार का दिन। बालाजी के दर्शन के लिए कई किलोमीटर तक लंबी लाइन लगी थी। मैंने सोचा चलो दर्शन कर लिया जाए। तभी एक 15-16 साल का लड़का पास आया। बोला- दर्शन करने हैं, 200 रुपए लगेंगे, लाइन में आगे लगवा दूंगा।

मैंने कहा कि 100 रुपए दूंगी। वह फौरन मान गया। मैं उसके पीछे चल पड़ी। थोड़ी ही देर बाद मुझे मंदिर के मेन गेट के पास लाइन में लगवा दिया। लगा अब जल्दी दर्शन हो जाएंगे, लेकिन काफी देर तक लाइन आगे ही नहीं बढ़ी। पूछने पर पता चला कि कोई VIP दर्शन के लिए आए हैं। इस वजह से आम लोगों को अभी दर्शन नहीं करने दिया जा रहा।

कुछ देर बाद जैसे ही गेट खुला श्रद्धालु मंदिर के गेट से अंदर की ओर भागने लगे। मुझे भागने की जरूरत नहीं थी, लोगों के धक्के से खुद-ब-खुद अंदर चली जा रही थी। एक दो तीन चार बालाजी की जयजयकार, प्रेत सरकार की जय, बाला जी की जय’ श्रद्धालु पूरी ताकत से जयकारे लगा रहे थे।

बीच-बीच में कोई महिला या पुरुष चीखते हुए, खुद को मारते हुए आते हैं और भीड़ के बीच से निकल जाते हैं। लोग उन्हें रास्ता भी दे देते हैं। डर ये भी कहीं वो उन पर हमला न कर दें। इधर, सिक्योरिटी गार्ड किसी को जरा सी देर भी खड़ा होने नहीं दे रहा है। बड़ी मुश्किल से एक सेकेंड के लिए बालाजी के दर्शन कर पाई।

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