जमरानी बांध पुनर्वास : जनवरी में पता चलेगा कौन-किस श्रेणी के मुआवजे का हकदार

हल्द्वानी : उत्तराखंड कैबिनेट से जमरानी बांध परिवारों की विस्थापन नीति को स्वीकृति मिलने के बाद सर्वे काम अब और तेजी से चल रहा है। जनवरी में साफ हो जाएगा कि कौन-किस श्रेणी के मुआवजे का हकदार होगा।
पूर्व में 1323 तीन श्रेणी में विभाजित किए गए थे। लेकिन घर-संपत्ति में बंटवारा और परिवार के मुखिया के निधन की वजह से बढ़ी हिस्सेदारी के चलते जमरानी परियोजना से जुड़े अधिकारी पूर्व सर्वे के सत्यापन में जुटे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि 35-40 परिवार बढ़ जाएंगे। हालांकि, दो माह बाद स्पष्ट हो जाएगा किसका किस श्रेणी में विस्थापन और पुनर्वास होना है
जमरानी बांध के पीएम कृषि सिंचाई योजना का हिस्सा बनने के बाद सबसे अहम चरण पुनर्वास नीति को स्वीकृति मिलना था। 16 नवंबर को कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी। वहीं, पुराने सर्वे मे छह गांव में 1323 परिवार विस्थापन की श्रेणी में आ रहे थे।
लेकिन सितंबर में ग्रामीणों ने डीएम कार्यालय पहुंच कहा कि हिस्से-बंटवारे और धारा 11 लागू होने से पहले हुई रजिस्ट्री का मुद्दा उठाते हुए पुन: सर्वे की मांग कर दी। जिसके बाद से छह गांव में टीम स्थानीय जनप्रतिनिधियों संग घर-घर जाकर सत्यापन में जुटी है। जनवरी में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगा। उसके बाद पता चलेगा कि किस परिवार को किस श्रेणी की विस्थापित सूची में डाला जाएगा।
जमरानी बांध 400 हेक्टेयर में बनेगा। मुख्य डैम से लेकर दस किमी लंबी झील भी इसमें शामिल है। 350 हेक्टेयर वनभूमि और 50 हेक्टेयर निजी जमीन चिन्हित हो चुकी है। वनभूमि लेने के लिए इतनी जमीन पर पौधरोपण भी किया जाता है। ताकि पर्यावरणीय क्षति की भरपाई हो चुकी है। इसके लिए राज्य सरकार ने टिहरी गढ़वाल के धनोल्टी में जमीन ढंूढी है
किच्छा के प्राग फार्म में करीब 320 एकड़ जमीन में छह गांव के लोगों को विस्थापित किया जाना है। यह भूमि अभी राजस्व विभाग के नाम पर दर्ज है। जबकि जमरानी बांध सिंचाई विभाग का प्रोजेक्ट है। ऐसे में इस जमीन को पहले सिंचाई विभाग के नाम किया जाएगा। उसके बाद ग्रामीणों को मालिकाना हक मिलेगा।
परियोजना प्रबंधक जमरानी हिमांशु पंत ने बताया कि गांव में सर्वे का काम अंतिम चरण में चल रहा है। हमारा प्रयास है कि जनवरी तक पुनर्वास पालिसी बन जाए। ताकि आगे की प्रक्रिया और तेजी से हो सके