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सेना की नौकरी के लिए खुद को मार दिया:डेथ सर्टिफिकेट बनवाया, नए आधार से नई पहचान हासिल की और सिलेक्ट भी हुआ

एक युवक ओवरएज होने के कारण सेना में भर्ती नहीं हो पाया तो खुद को मरा हुआ घोषित कर दिया। डेथ सर्टिफिकेट तक बनवा लिया। इसके बाद आधार कार्ड में नाम बदलवा लिया और उम्र भी कम दिखा दी। आधार कार्ड में अपडेट के लिए उसने दसवीं की परीक्षा भी दोबारा दी।

युवक जालसाजी करके सेना में भर्ती होने में कामयाब भी हो गया। सेना में ट्रेनिंग के बाद महीने के 45 से 50 हजार रुपए का वेतन मिलता, लेकिन उससे पहले ही रक्षा मंत्रालय के महानिदेशालय को मिली एक चिट्‌ठी ने उसका पूरा राज खोल दिया। सेना ने तुरंत उसे बर्खास्त कर दिया। अब पुलिस मामले की जांच कर रही है।

किसी फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह लगने वाली ये कहानी है अजमेर जिले में किशनगढ़ पास बांदरसिंदरी थाना इलाके की काकनियावास स्थित देसवाली ढाणी की। गांव का मोइनुद्दीन पुत्र मोहम्मद नूर ने पहले अपना डेथ सर्टिफिकेट बनाया और मोहिन सिसोदिया के नाम से सेना में भर्ती हो गया। इस जालसाजी में उसके परिवार के साथ ग्राम पंचायत और निजी स्कूल की भूमिका भी सामने आ रही है।

मोइनुद्दीन की जालसाजी जानने के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

46 साल का नूर मोहम्मद गांव में खेती करता है। परिवार में पत्नी फातिमा, बड़ा बेटा मोइनुद्दीन, छोटा बेटा आसिफ और एक बेटी सलमा बानो है। जिसकी शादी हो चुकी है। मोइनुद्दीन का जन्म 6 नवंबर 1998 को हुआ और आसिफ का जन्म 5 जुलाई 2001 को हुआ। मोइनुद्दीन ने 2013 में दसवीं पास की। 2018 में सेना भर्ती हुई और उसके छोटे भाई आसिफ का उसमें चयन हो गया। मोइनुद्दीन भी सेना में जाना चाहता था, लेकिन वह ओवरएज हो रहा था।

इसके बाद मोहनुद्दीन ने साजिश रची। खुद को मरा हुआ बताया और अपना मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। डेथ सर्टिफिकेट में लिखा था- मोइनुद्दीन की 18 अगस्त 2019 को मौत हो चुकी है। इसके बाद मोइनुद्दीन ने मोहिन सिसोदिया के नाम से 2019 में दसवीं की परीक्षा दी।

पास होने के बाद मोहनुद्दीन को मोहिन सिसोदिया के नाम से बोर्ड मार्कशीट मिल गई। इस पर पिता का नाम नूर मोहम्मद, माता का नाम फातिमा बानो ही रहा, लेकिन डेथ ऑफ बर्थ 6 नवंबर 1998 से बदलकर हो गई 6 नवंबर 2001। यानी मोइनुद्दीन उम्र में अपने छोटे भाई से भी छोटा हो गया।

मोइनुद्दीन को सेना में जाने के लिए अपनी उम्र कागजों में कम दिखानी थी। इसके लिए जरूरी था कि उसकी दसवीं की मार्कशीट और आधार कार्ड पर नई जन्म तारीख हो, लेकिन यह संभव नहीं था। ऐसे में पहले उसने खुद का डेथ सर्टीफिकेट बनवाया। जिसके लिए उसके पिता मोहम्मद नूर ने पंचायत से मिलीभगत की। 2019 में सरपंच ने मोइनुद्दीन की मौत की पुष्टि कर अनुशंषा कर दी।

इसके बाद आवेदन ग्रामसचिव ने वेरिफाई किया और फिर तहसीलदार ने। कहीं काेई जांच नहीं हुई और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो गया। जिस पर मौत की तारीख लिखी गई 18 अगस्त 2019। इस तरह आसानी से मोइनुद्दीन का मृत्यु प्रमाण पत्र बन गया।

छोटा बेटा बनकर दी दसवीं की परीक्षा

इसके बाद मोइनुद्दीन ने पास के ही नलू गांव के एक स्कूल बाल कृष्णा भारती में मोहिन सिसोदिया नाम से एडमिशन लिया। वहां यह नौंवी का स्टूडेंट बना। इसी स्कूल से 2019 में दसवीं की परीक्षा दी। फार्म में उसने अपना नाम मोहिन सिसोदिया लिखा और जन्म तिथि लिखी 6 नवम्बर 2001। वर्ष 2020-21 में इसी स्कूल से बारहवीं उतीर्ण की।

अब उसके पास मोहिन सिसोदिया के नाम से बोर्ड की दो-दो कक्षाओं की मार्कशीट हो गई और जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में दसवीं की मार्कशीट पर नई तारीख भी आ गई। इन्हीं मार्कशीट के आधार पर उसने पहले राशन कार्ड में और बाद में आधार कार्ड में अपने नाम और जन्म तारीख में बदलाव किया।

आधार कार्ड के नंबर नहीं बदले

मोइनुद्दीन ने बड़ी चालाकी से अपना मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। इसके बाद नए नाम और जन्मतिथि से दसवीं व बारहवीं की मार्कशीट भी ले ली। अब उसे मोहिन सिसोदिया के नाम से आधार कार्ड की जरूरत थी। जिस पर उसकी नई डेथ ऑफ बर्थ होती, लेकिन वह नया आधार कार्ड नहीं बनवा सकता था, क्योंकि पुराने आधार कार्ड के रिकॉर्ड में उसका बायोलोजिकल रिकॉर्ड था। यदि वह फ्रिंगर प्रिंट देता तो तुरंत पकड़ में आ जाता।

छोटा बेटा बनकर दी दसवीं की परीक्षा

इसके बाद मोइनुद्दीन ने पास के ही नलू गांव के एक स्कूल बाल कृष्णा भारती में मोहिन सिसोदिया नाम से एडमिशन लिया। वहां यह नौंवी का स्टूडेंट बना। इसी स्कूल से 2019 में दसवीं की परीक्षा दी। फार्म में उसने अपना नाम मोहिन सिसोदिया लिखा और जन्म तिथि लिखी 6 नवम्बर 2001। वर्ष 2020-21 में इसी स्कूल से बारहवीं उतीर्ण की।

अब उसके पास मोहिन सिसोदिया के नाम से बोर्ड की दो-दो कक्षाओं की मार्कशीट हो गई और जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में दसवीं की मार्कशीट पर नई तारीख भी आ गई। इन्हीं मार्कशीट के आधार पर उसने पहले राशन कार्ड में और बाद में आधार कार्ड में अपने नाम और जन्म तारीख में बदलाव किया।

आधार कार्ड के नंबर नहीं बदले

मोइनुद्दीन ने बड़ी चालाकी से अपना मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। इसके बाद नए नाम और जन्मतिथि से दसवीं व बारहवीं की मार्कशीट भी ले ली। अब उसे मोहिन सिसोदिया के नाम से आधार कार्ड की जरूरत थी। जिस पर उसकी नई डेथ ऑफ बर्थ होती, लेकिन वह नया आधार कार्ड नहीं बनवा सकता था, क्योंकि पुराने आधार कार्ड के रिकॉर्ड में उसका बायोलोजिकल रिकॉर्ड था। यदि वह फ्रिंगर प्रिंट देता तो तुरंत पकड़ में आ जाता।

इसलिए उसने दसवीं की नई मार्कशीट के आधार पर ऑनलाइन ही पुराने आधार कार्ड में नाम और जन्मतिथि बदल ली। जिसके बाद आधार कार्ड में भी उसका नाम मोइनुद्दीन से मोहिन सिसोदिया और जन्मतिथि 6 नवंबर 1998 से 6 नवंबर 2001 हो गई, लेकिन आधार कार्ड का नंबर एक ही रहा, जो 364404673716 है।

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