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रोबोटिक सर्जरी से 21 वर्षीय मरीज को मिला नया जीवन

ग्वालियर: दिल्ली के डॉक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी के जरिए एक 21 वर्षीय मरीज को नया जीवन दिलाया है। मरीज को पैराफरीन्जियल स्पेस ट्यूमर था जो गर्दन, नस, लिम्फ नोड्स और लार ग्रंथि के कुछ हिस्सों के गहरे ऊतकों में रहता है। नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज की जांच के बाद उसे ट्रांस ओरल रोबोट असि‌स्टेड सर्जरी की मदद से सफल ऑपरेशन किया।

जानकारी के अनुसार, 21 वर्षीय प्रिंस कुमार को डिस्पैगिया और डिस्पनिया (निगलने व सांस लेने में कठिनाई) की परेशानी थी। उसकी दबी हुई आवाज  थी और हालत बिगड़ने के चलते बीते माह 18 नवंबर को परिजन उसे लेकर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल पहुंचे। यहां ईएनटी के रोबोटिक सर्जन वरिष्ठ सलाहकार डॉ कल्पना नागपाल और एनेस्थीसिया विभाग के वरिष्ठ डॉ अनिल शर्मा की निगरानी में रोगी का उपचार शुरू हुआ।

डॉक्टरों ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला कि प्रिंस कुमार को एक बड़ा ट्यूमर है जिसकी वजह से उसे यह परेशानियां हो रही हैं। इसे बाहर निकालने के लिए डॉक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी।

चूंकि रोबोट के जरिए ट्यूमर के आसपास के क्षेत्र को आसानी से देखने में मदद मिलती है और उसे बाहर निकालना भी आसान होता है। इसलिए डॉक्टरों ने अत्याधुनिक तकनीक से लैस ट्रांस ओरल रोबोट असिस्टेड सर्जरी की सलाह दी। इससे अत्यधिक रक्त हानि एवं तंत्रिका क्षति भी नहीं होती है।  इसका दूसरा विकल्प पारंपरिक सर्जरी है जिसमें गर्दन पर बाहरी कट लगाना पड़ता है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ईएनटी विभाग की रोबोटिक सर्जन डॉ. कल्पना नागपाल ने कहा, “प्रिंस को निगलने और सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। मरीज को रोबोट की मदद से ट्रांस-ओरल सर्जरी से गुजरना पड़ा। गले के किनारे से एक बड़े पैराफेरीन्जियल स्पेस ट्यूमर को हटाया। यह प्रक्रिया प्रिंस को जगाते हुए की गई। इसमें एक फाइबर ऑप्टिक लेरिंजोस्कोप का उपयोग करके एनेस्थेसिया दिया जाता है क्योंकि बिना ट्रेकियोस्टोमी के नाक या गले से पारंपरिक सामान्य एनेस्थीसिया दिया जाना असंभव है। इसके अतिरिक्त, बिना किसी बाहरी कट लगाए ट्यूमर को बाहर निकालना ही स्वयं में एक बड़ी चुनौती है।’’

उन्होंने बताया कि 19 नवंबर को प्रिंस की सर्जरी हुई और ट्यूमर को दो भाग में करते हुए हटाया गया। एनेस्थीसिया और ट्रांस ओरल रिमूवल दोनों ही एक चुनौती थी। 21 नवंबर को 24 घंटे से भी कम समय में उन्हें स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी गई।

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