अल्मोड़ा में एक दशक में 39 नहरों का मिटा अस्तित्व
अल्मोड़ा (संजय नयाल)। आपदा और विकास की मार से जिले की 30.7 फीसदी नहरों का अस्तित्व खत्म हो गया है। वर्ष 2012 में जिले में 127 नहरें थीं। इनमें से 12 नहरें भूस्खलन और पानी सूखने से तो 27 नहर सड़क निर्माण के कारण नष्ट हो गई हैं। इन नहरों के सूखने और गायब होने से क्षेत्र के 20 हजार से अधिक किसान खेतों को सींच नहीं पा रहे हैं और उन्हें मजबूरन बारिश पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। सिंचाई के अभाव में कई किसानों ने खेती भी छोड़ दी है।
एक दशक में घट गई 1734 हेक्टेयर सिंचित भूमि
पर्वतीय क्षेत्रों में नहरों की संख्या के साथ ही सिंचित भूमि भी लगातार घट रही है। सिंचाई विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार एक दशक पूर्व जिले में 2666.20 हेक्टेयर भूमि सिंचित थी। वर्तमान में नहरों की कम होती संख्या के बीच सिंचित भूमि 1734 हेक्टेयर कम होकर महज 932 हेक्टेयर रह गई है।
दस वर्षों में बनीं 25 नहरें
सिंचाई खंड अल्मोड़ा ने पिछले दस वर्षों में महज 25 नई नहरों का निर्माण किया। आपदा या सड़क निर्माण के चलते इनमें से 10 नहरें नष्ट हो गई हैं। जगह-जगह क्षतिग्रस्त नहरों के बीच सिंचाई में किसानों को खासी दिक्कत झेलनी पड़ रही है।
स्थान संचालित नहरें
लमगड़ा – 27
भैंसियाछाना – 10
धौलादेवी – 28
ताकुला – 08
हवालबाग – 15
कोट- बजट के अभाव में नहरों का रख-रखाव नहीं हो पा रहा है, जिससे नहरें आपदाकाल या सड़क निर्माण के चलते क्षतिग्रस्त हो रही हैं। यही कारण है कि जिले में नहरों की संख्या घटी है। वहीं विभाग में कर्मचारियों की कमी भी इसकी बड़ी वजह है। – मोहन सिंह रावत, ईई, सिंचाई खंड, अल्मोड़ा।