हल्द्वानी। जिला प्रशासन, राजस्व, वन विभाग, रेलवे और नगर निगम ने रेलवे जमीन प्रकरण में संयुक्त सर्वे शुरू कर दिया है। टीम रविवार सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक वन विभाग के सीमांकन पिलर खोजती रही। देर शाम तक वन विभाग के तीन सीमांकन पिलर खोजे गए हैं। इसमें रेलवे लाइन से पूरब की ओर करीब 32 मीटर तक रेलवे की जमीन आ रही है। इसके बाद वन विभाग की जमीन है। पहले दिन के सर्वे में ये बात सामने आई है कि रेलवे की जमीन गौला रोखड़ की ओर भी है। सोमवार को टीम दोबारा सर्वे शुरू करेगी।
एडीएम अशोक जोशी के नेतृत्व में सुबह 10 बजे टीम चोरगलिया रोड के पास स्थित चिराग अली शाह बाबा की दरगाह पर पहुंची। यहां से टीम ने वन विभाग के सीमांकन पिलर संख्या दो के लिए नपाई शुरू की। इसमें वन विभाग का पिलर गौला नदी में मिला। यहां से सीमांकन करना संभव नहीं था। इसके बाद टीम शनिबाजार वाली रोड स्थित रेलवे क्त्रससिंग पर पहुंची। यहां नक्शे के हिसाब से सड़क का मिलान कर सर्वे शुरू किया गया। सबसे पहले वन विभाग की जमीन के सीमांकन पिलर खोजे गए।
वन विभाग के नक्शे में मौजूद सीमांकन पिलर संख्या 10 रेलवे लाइन से करीब 32 मीटर दूर गौला रोखड़ की ओर मिला। इसके बाद संयुक्त टीम ने पिलर संख्या नौ, पिलर संख्या आठ का भी सीमांकन किया जो रेलवे लाइन से करीब 32.5 मीटर पूरब की ओर था। इसके बाद पिलर संख्या सात का सीमांकन हुआ। यहां पर हाजी अब्दुल मलिक ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि उनके पास मौजूद रेलवे के नक्शे ये यह रेलवे लाइन से 668 फीट पर आना चाहिए जो कम आ रहा है। अंधेरा होने के बाद एडीएम ने सर्वे रुकवा दिया। सोमवार को यहां से दोबारा सर्वे होगा।
चोरगलिया रोड से गौला नदी में भी है रेलवे की सात मीटर जमीन
हल्द्वानी। संयुक्त सर्वे में सामने आया कि चोरगलिया रोड रेलवे क्त्रससिंग से गौलापार को जाने वाली रोड से पूरब गौला नदी में रेलवे की सात मीटर जमीन है। हाजी अब्दुल मलिक ने बताया कि प्रशासन की ओर से बनाई गई कमेटी में उन्हें भी रखा है। कहा कि पहले रेलवे की पटरी नदी में ही थी। वर्ष 1935 से 1942 में आई बाढ़ के कारण रेलवे ट्रैक बह गया था। इसके बाद रेलवे की लाइन हल्द्वानी की ओर शिफ्ट हुई। कहा कि आज प्रशासन के सीमांकन में भी यह बात सामने आ रही है।
वन विभाग की जमीन के बाद रेलवे की है जमीन
हल्द्वानी। प्रशासन पहले वन विभाग की जमीन का सीमांकन कर रहा है। वन विभाग का सीमांकन काम पूरा होने के बाद रेलवे की जमीन की नपाई होगी। इसके बाद राजस्व जमीन की नपाई होगी। वन विभाग की जमीन के बाद रेलवे की इसके बाद राजस्व की जमीन है।
सीमांकन के समय एक पार्षद ने किया हल्का विरोध
हल्द्वानी। सीमांकन के दौरान पार्षद महबूब आलम ने विरोध किया। उनका कहना था कि प्रशासन जो सीमांकन कर रहा है उन नक्शों की कॉपी उन्हें भी उपलब्ध कराई जाए। एसडीएम मनीष कुमार के समझाने के बाद पार्षद वहां से चले गए।
संयुक्त टीम सर्वे कर रही है। पहले वन विभाग की जमीन का सीमांकन किया जा रहा है। वन विभाग की जमीन के पश्चिम की ओर रेलवे की जमीन है। जब वन विभाग की जमीन का सीमांकन पूरा हो जाएगा। उसके बाद रेलवे की जमीन नापी जाएगी। इसके बाद राजस्व की जमीन की पैमाईश होगी। रविवार को वन विभाग के तीन सीमांकन पिलर ढूंढ लिए गए हैं।
– अशोक जोशी एडीएम