शिंदे-फडणवीस सरकार ने सात महीने में विज्ञापनों पर खर्च किए 42 करोड़
मुंबई। महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार ने सात महीने में विज्ञापनों पर 42 करोड़ रूपये खर्च किए हैं. दरअसल यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दी गई जानकारी से. यानि शिंदे-फडणवीस सरकार ने सत्ता में आने के बाद से विज्ञापन में कोई कसर नहीं छोड़ी है. आपको बता दें कि सात माह पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर 39 विधायकों को लेकर भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाई थी. आरटीआई एक्टिविस्ट नितिन यादव ने राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से विज्ञापनों पर हुए खर्च की जानकारी मांगी थी. जिसके बाद उन्हें यह चौंकाने वाली जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनने के बाद से केवल 7 महीनों में सरकारी खजाने से 42 करोड़ 44 लाख रुपये विज्ञापनों पर खर्च किए हैं। यादव ने कहा है कि ये ब्यौरा मुझे हाल ही में उपलब्ध कराया गया है. चौंकाने वाली जानकारी यह है कि इन खर्चों का औसत निकाला जाए तो पता चलता है कि रोजाना करीब 19 लाख 74 हजार रुपए की फिजूलखर्ची की गई है। अब यादव ने ये सवाल उठाया है कि क्या आम जनता की जेब से सरकार को जाने वाले इस पैसे के खर्च पर सरकार रोक लगाएगी? नितिन यादव ने यह भी कहा है कि सवाल यह है कि विज्ञापन को कोसने वाली सरकार वास्तव में सिर्फ विज्ञापन पर ही करोड़ों रुपया खर्च कर रही है. इन खर्चों में सबसे अधिक खर्च हर घर तिरंगा पहल पर किया गया है। हर घर तिरंगा पहल के लिए 10 करोड़ 61 लाख 568 रुपये खर्च किए गए हैं। जबकि कोरोना के बूस्टर डोज पहल के प्रचार-प्रसार पर 86 लाख 70 हजार 344 रुपये खर्च किए गए हैं जो केंद्र सरकार की योजना है। नितिन यादव कहते हैं कि जनसंपर्क विभाग की ओर से उन्हें जानकारी मिली है कि राष्ट्र नेता से राष्ट्र पिता सेवा पखवाड़ा में प्रचार-प्रसार पर 4 करोड़ 72 लाख 58 हजार 148 रुपये खर्च किए गए हैं। जी-20 के प्रचार पर 85 लाख 16 हजार 592 रुपये और भारतीय विज्ञान कांग्रेस के प्रचार पर 2 करोड़ 37 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। राज्य स्तरीय रोजगार मेलों के प्रचार-प्रसार पर 7 करोड़ 57 लाख 45 हजार तथा एमएमआरडीए के विज्ञापन पर 1 करोड़ 13 लाख 47 हजार 200 रुपये खर्च किये गये हैं. मारारवी निगम के प्रचार-प्रसार पर 11 करोड़ 50 लाख रूपये खर्च किए गए हैं। जबकि बालासाहेब ठाकरे की जयंती कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार पर 96 लाख 40 हजार 680 रुपये खर्च किए गए.