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सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल

हापुड़, पेट में कीड़े (कृमि) होने से बच्चों और किशोर-किशोरियों का शारीरिक व मानसिक विकास बाधित होता है। बच्चों के समुचित शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पोषण की ज्यादा जरूरत होती है और पेट के कीड़े भोजन से मिलने वाले पोषण को चट कर जाते हैं। कुपोषण का शिकार होने पर बच्चे का वजन कम होने लगता है। कुछ कीड़े लाल रक्त कणिकाओं (आरबीसी) को अपना भोजन बनाते हैं, उस स्थिति में बच्चों में खून की कमी (एनीमिया) हो जाती है। इसलिए साल में दो बार बच्चों को पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलानी जरूरी है। यह बातें बृहस्पतिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी ने कहीं।

सीएमओ ने बताया – 10 फरवरी को जनपद में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर सभी सरकारी और निजी स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों पर पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलाई जाएगी। यह दवा एक से 19 वर्ष तक के बच्चों-किशोर-किशोरियों को खिलाई जाएगी। शिक्षा विभाग और आईसीडीएस से समन्वय स्थापित कर सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर एल्बेंडाजोल की गोलियां पहुंचा दी गई हैं। स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि मिड डे मील के बाद यह गोली खिलाई जाए। ध्यान रहे कि खाली पेट यह गोली नहीं खानी है।

एक से दो वर्ष तक के बच्चों को 200 मिग्रा यानि आधी गोली पीसकर खिलानी है जबकि दो से 19 वर्ष तक के बच्चों-किशोरों को 400 मिग्रा यानि एक गोली चबाकर खानी है। यदि किसी बच्चे को सर्दी, खांसी या सांस लेने में परेशानी जैसी कोई समस्या है तो उसे एल्बेंडाजोल की गोली नहीं खिलाई जाएगी। एनडीडी के मौके पर गोली खाने से वंचित रहने वाले बच्चों को 13 से 15 फरवरी तक मॉपअप राउंड आयोजित कर कवर किया जाएगा।

पेट में कीड़े होने के लक्षण :

बार-बार दस्त लगना।

थकान और कमजोरी।

पेट दर्द और वजन घटना।

पेट में कीड़े होने के कारण :

पेट में कीड़े होने का सबसे बड़ा कारण है गंदगी।

दूषित पानी पीना।

बाहर का दूषित भोजन।

पेट की कीड़ों से नुकसान :

पेट के कीड़े लाल रक्त कणिकाओं को खाते हैं।

शरीर में खून की कमी हो जाती है।

शरीर का वजन तेजी से कम होता है।

बचाव के लिए क्या करें :

साफ-सफाई का ध्यान रखें।

हाथों की सफाई महत्वपूर्ण है।

पीने के लिए स्वच्छ पानी दें

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