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डाटा कलेक्शन के साथ बीमारियां खोज रहे एमबीबीएस के छात्र

दून मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के छात्रों की क्षमताओं को निखारने के लिए पहली बार दो महीने का इलेक्टिव कोर्स कराया जा रहा है। इसके तहत छात्र अलग-अलग बीमारियों पर डाटा कलेक्शन कर नई बीमारियां खोज रहे हैं। फील्ड पर और अस्पताल की ओपीडी में मरीजों से बात कर बीमारी से संबंधित डाटा एकत्र कर रहे हैं। इसमें शोध पर आधारित ट्रेनिंग हो रही है।

दून मेडिकल अस्पताल के स्त्री रोग विभाग की हेड डॉ. चित्रा जोशी ने बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक यह कोर्स पूरे भारत के मेडिकल कॉलेजों में पहली बार शुरू हुआ है। एमबीबीएस के तीसरे फेज के पहले सेमेस्टर की परीक्षा के बाद इस समय यह कोर्स चल रहा है। इसमें 2019 बैच के छात्र शामिल हो रहे हैं। इसमें सभी विभागों के मेडिकल छात्रों को पढ़ाई के दौरान शोध की जानकारी मिल रही है। पहले इस तरह का कोर्स मेडिकल छात्र एमबीबीएस के बाद करते थे।

ये विषय हैं शामिल
पहले कोर्स में प्री-क्लीनिकल या पैरा-क्लीनिकल विषय जैसे बेसिक साइंसेज, लेबोरेटरी या किसी मौजूदा शोध परियोजना, फिजियोलॉजी, बायो केमिस्ट्री, जेनेटिक्स, लैबोरेट्री, एडवांस डायग्नोस्टिक समेत कई अन्य विषयों पर छात्रों को काम करने का मौका मिल रहा है। इसके बाद क्लीनिकल कोर्सेज में मेडिसिन, सर्जरी, गाइनी, सर्जिकल आंकोलॉजी, डर्मेटोलॉजी, आईसीयू, ब्लड बैंक और कैजुअलिटी जैसे विषय शामिल होंगे। छात्रों को विषय उनकी रैंक के हिसाब से मिलते हैं।
शोध की बारीकी सीख रहे छात्र
डॉ. चित्रा ने बताया कि 12वीं के बाद छात्र एमबीबीएस में आते हैं। ऐसे में उन्हें लगातार पढ़ाई ही करनी पड़ती है। शोध जैसे विषय पर काम करने का मौका नहीं मिलता है। जबकि, उन्हें भविष्य में शोध पर काम करना पड़ता है। इसलिए उन्हें शोध की बारीकियों और डेटा कलेक्शन से अवगत कराया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि किसी भी बीमारी से संबंधित डाटा को कैसे इकट्ठा करना और विश्लेषण करना है। इस दौरान थ्योरी क्लास भी नहीं होती है

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