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सामाजिक विज्ञान के बिना विज्ञान का ज्ञान अधूरा : नौटियाल

अल्मोड़ा। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल में दूसरी व्याख्यानमाला आयोजित की जा रही है। इसका शुभारंभ मुख्य अतिथि डीएम विनीत तोमर ने किया। संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने कहा कि सामाजिक विज्ञान को समझे बिना विज्ञान का ज्ञान अधूरा है। इसमें व्यावहारिक सामाजिक विज्ञान महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि बिना स्थानीय अध्ययन और रीति रिवाजों को जाने बिना किसी भी विषय की गहन जानकारी नहीं जुटाई जा सकती है। उसके लिए उसके पीछे के विज्ञान को ढूंढकर अध्ययन करना जरूरी है। उन्होंने संस्थान और इसकी क्षेत्रीय इकाइयों की गतिविधियां बताईं। डीएम ने शोधार्थियों से व्याख्यानमाला को अधिकतम आत्मसात करने की अपील की। उन्होंने पुरानी जीवन शैली को समाज के हित में बताया। कहा कि बदलते दौर ने भावी पीढ़ी को बोझ से लाद दिया है।

मुख्य वक्ता प्रोफेसर डीआर पुरोहित ने सांस्कृतिक पारिस्थितिक तंत्र के मार्गों के माध्यम से हिमालय को फिर से हरा-भरा बनाने का आह्वान किया। उन्होंने सामाजिक प्रवृत्तियों और मानव कल्याण के लिए उनके अधिकाधिक उपयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मानव विकास की चाह में अपनी पुरानी प्रथाओं और रीति, रिवाजों को भूलता जा रहा है जो समाज के लिए घातक है।
संस्थान की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के चेयरपर्सन डॉ. एकलव्य शर्मा ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को बनाए रखने और आत्मसात करने की जरूरत है। डॉ. सुरेश राणा ने संचालन किया। कार्यक्रम में पद्मश्री वीपी डिमरी, प्रो. एएन पुरोहित, प्रो. विजय जड़धारी, पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व सचिव हेम पांडे, प्रो. अरुण सर्राफ, पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी, पर्यावरण सेवा निधि के डॉ. ललित पांडे, प्रो. कश्यप, प्रो. एसपी सती, अनूप नौटियाल, डॉ. जीसीएस नेगी, डॉ. जेसी कुनियाल आदि मौजूद थे।

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