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वन विभाग की स्वीकृति की बाट जोह रहीं जिले की 75 सड़कें

अल्मोड़ा। राज्य गठन के 22 वर्ष बाद भी कई गांवों के लोगों को सड़क नसीब नहीं हुई है। अल्मोड़ा में वन विभाग की आपत्ति के चलते 75 सड़कों का निर्माण अधर में है। अपने गांवों तक जल्द सड़क पहुंचने की उम्मीद लगाए 20 हजार से अधिक की आबादी को मायूसी का सामना करना पड़ रहा है। वन विभाग की स्वीकृति के इंतजार में इन सड़कों का प्रस्ताव सरकारी फाइलों में सिमटकर रह गया है।

अल्मोड़ा के 90 से अधिक गांवों को सड़क से जोड़ने के लिए दो साल पूर्व 75 सड़कों के निर्माण का प्रस्ताव शासन में भेजा गया था। इन सड़कों को धरातल पर उतारने के लिए वन विभाग की स्वीकृति नहीं मिल सकी है। वन विभाग के पेंच के चलते इन गांवों तक आजादी के 75 साल बाद भी सड़क नहीं पहुंच सकी है। लोनिवि ने अब तक स्वीकृति के लिए इन सड़कों की फाइल 10 से अधिक बार वन विभाग के पास भेजी। हर बार आपत्ति लगाकर ये फाइलें लौटा दी गईं। सड़क निर्माण न होने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

अल्मोड़ा। अब तक सड़क निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों को मुख्य सड़क तक पहुंचने में कई किमी का पैदल सफर करना पड़ रहा है। सड़क के अभाव में बीमार और प्रसव पीड़िताओं को ग्रामीण डोली के सहारे अस्पताल पहुंचाते हैं। इन हालात में बीमारों को समय पर अस्पताल पहुंचाना चुनौती से कम नहीं है।
इन सड़कों को है स्वीकृति का इंतजार
अल्मोड़ा। बिसरा-कनैली, दममाटी-बटुलिया, चेलछीना-जैंती, नैनी जिफल्टा- कौकिलागांव, मटीला-गैरोली, सुमियाकोट-कोटली, क्वारब-पेटशाल बाईपास, खूंट-काकड़ीघाट, रौलाखरक-तिनगेर, पूनागढ़-नाटाडोल, सैम मंदिर, फटक्वाडुंगरी-शिल्पकार, कुन्यूड़ा लिंक सड़क, धारखोला-कपिलेश्वर, पोखरी-मेरगांव-कपिलेश्व सहित 75 सड़कें।

सड़कों को प्रथम चरण की स्वीकृति मिल चुकी है। वन अधिनियम की स्वीकृति मिलने पर सड़कों का निर्माण संभव है।
इंद्रजीत बोस, अधिशासी अभियंता, लोनिवि अल्मोड़ा।

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