हरित आर्थिकी से बना सकते हैं उत्तराखंड को समृद्ध: सुबोध
उत्तराखंड राज्य आने वाले समय में कार्बन वित्त परियोजना के माध्यम से अपनी आर्थिकी मजबूत करेगा। वन विभाग ने इस संबंध में प्रयास शुुरु कर दिए हैं। वन विभाग ग्रीन इकोनामी (हरित आर्थिकी) के लिए कार्ययोजना तैयार कर रहा है। इसके लिए उत्तराखंड वन विभाग और द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (टेरी) की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है।
सोमवार को वन विभाग के अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला शुभारंभ किया गया। कार्यशाला में वृक्षारोपण, संरक्षण और बहाली के लिए कार्बन वित्त परियोजना के विकास पर चर्चा के साथ ही प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर विचार रखे गए। कार्यशाला के उद्घाटन पर मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद राज्य के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड राज्य अपनी समृद्ध वन संपदा के लिए विशिष्ठ पहचान रखता है। जबकि हमारे आसपास के राज्यों में वनों का बड़ा अभाव है। मंत्री उनियाल ने कहा कि वनों को संरक्षित करने और पर्यावरण संरक्षण के लिए हमने व्यापक स्तर पर अपने हितों से समझाैता किया है। अब हमें अपनी वन संपदा को नए ढंग से प्रस्तुत कर इसका लाभ लेना होगा। उन्होंने कहा कि कार्बन वित्त परियोजना के माध्यम से हम अपनी हरित आर्थिकी से प्रदेश को समृद्ध बना सकते हैं। कार्यशाला के पहले दिन कैंपा परियोजना के सीइओ आइएफएस जीएस पांडेय ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताया। जानकारी दी। हाफ अनूप मलिक ने जलवायु परिवर्तन के साथ ही कार्बन बाजार और कार्बन वित्त की प्रक्रिया पर जानकारी दी। मुख्य वन संरक्षक नरेश कुमार ने कहा कि कार्यशाला में कार्बन अवशोषण की क्षमता बढ़ाने तथा इसका डाटाबेस तैयार करने पर विचार विमर्श किया जाएगा। उन्होंने बताया कि योजना के तहत प्रथम चरण में गढ़वाल रेंज के सभी वन प्रभागों में इसके लिए दो-दो वन पंचायतों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। दूसरे चरण में कुमाऊं रेंज तथा इसके बाद रिजर्व पार्क व सेंचुरी को भी शामिल किया जाएगा। भूमि संसाधन प्रभाग के एसोसिएट फेलो अनिरुद्ध सोनी व वरुण ग्रोवर ने कार्बन परियोजनाओं के लिए आवश्यकताओं पर विचार रखे। अनिरुद्ध सोनी ने भू-स्थानिक उपकरण और डेटा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां दी। कार्यशाला में गढ़वाल रेंज के सभी प्रभागीय वनाधिकारी मौजूद रहे