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कीड़ाजड़ी और बुरांश के संरक्षण की जरूरत

अल्मोड़ा। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान में मंगलवार को जी-20 के तहत सम्मेलन हुआ जिसमें कई वैज्ञानिक जुटे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण असंतुलन आज गंभीर समस्या बन गया है। इसको कम करने के लिए मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि कीड़ाजड़ी और बुरांश को भी संरक्षित करने की जरूरत है। मुख्य अतिथि सांसद अजय टम्टा ने सम्मेलन का शुभारंभ किया। उन्होंने संस्थान के प्रयासों को सराहा। कहा कि यह संस्थान हमारे पर्यावरण को साथ-सुथरा बनाने के लिए काम कर रहा है। संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से हमें एक दूसरे की बातों को सुनने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि कीड़ाजड़ी और बुरांश धीरे-धीरे विलुप्त हो रहा है जिसके संरक्षण की जरूरत है।

विवेकानंद पर्वतीय संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में मोटे अनाज की खेती यहां के किसानों की आय का बेहतर जरिया बन सकती है। पर्यावरण सेवा निधि के निदेशक पद्मश्री डॉ. ललित पांडे ने कहा कि आज मानव विकास की चाह में अपनी पुरानी प्रथाओं और रीति रिवाजों को भूलते जा रहा है जो समाज के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि बिना समुदाय की सहभागिता और शोध के विकास कार्यों का कोई औचित्य नहीं है।
पद्मश्री डॉ. वीपी डिमरी ने कहा कि मानव ने विकास की चकाचौंध में निर्माण, खनन और वनों की कटाई से पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़ा है जो भविष्य के लिए चिंताजनक है। उन्होंने लोगों से पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाने की अपील की। बीएस बोनाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से कम हिमपात हो रहा है और मौसमी ग्लेशियर नहीं बन पा रहे हैं जो चिंता का विषय है। इस मौके पर संस्थान के वैज्ञानिक किरीट कुमार, डॉ. जेसी कुनियाल, डॉ. आईडी भट्ट, डॉ. पारोमिता घोष आदि मौजूद रहे।

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