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विदेशी भाषा, लोक संस्कृति में कोर्स संचालित करेगा गढ़वाल विवि

श्रीनगर। नई शिक्षा नीति के तीन साल पूरे होने पर गढ़वाल विवि के चौरास परिसर में कार्यशाला का आयोजन किया गया। उद्घाटन विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने किया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आधुनिक भारत के निर्माण में अहम कड़ी साबित होगी। इसमें स्किल, स्कूल व उच्च शिक्षा को विशेष रूप से केंद्र में रखकर बहुउद्देशीय नीति तैयार की गई है। विवि स्थानीय भाषा, विदेशी भाषा, स्थानीय लोक संस्कृति, लोक कला, आधुनिक व परंपरागत खेती में रोजगार की दृष्टि से कई कोर्स संचालित करने जा रहा है।
कहा कि विवि के स्वर्ण जयंती वर्ष में मिशन मोड में नियुक्तियां की जा रही हैं। एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक प्रो. ललित अवस्थी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा दिया गया है। इसमें स्कूली शिक्षा पर विशेष फोकस किया गया है। विवि के प्रति कुलपति प्रो. आरसी भट्ट ने कहा कि इस शिक्षा नीति से नर्सरी से लेकर उच्च शिक्षा तक सकारात्मक बदलाव किया गया है जिसके परिणाम आगामी 14-15 वर्षों में स्पष्ट हो पाएंगे। विवि में नई शिक्षा नीति के समन्वयक प्रो. एके डोबरियाल ने बताया कि इस नीति के तहत विवि ने रोजगारपरक पाठ्यक्रम अपनाए हैं। स्नातक स्तर पर एक साल में सर्टिफिकेट, दो साल में डिप्लोमा, तीन साल में डिग्री व चौथे साल में ऑनर और शोध का अवसर मिलेगा। कहा विवि ने एक साथ दो डिग्रियां देने पर सैद्धांतिक सहमति दी है लेकिन इस पर कार्य किया जा रहा है। कार्यशाला में रमा मैखुरी ने स्कूली शिक्षा, प्रो. डीआर पुरोहित ने लोक कला, अर्चना सजवाण ने विदेशी भाषा में हो रहे कार्यों की जानकारी दी। संचालन प्रो. महावीर नेगी ने किया। इस मौके पर प्रो. एमएम सेमवाल, प्रो. आरसी मैखुरी, प्रो. अनिल नौटियाल, डाॅ. बीपी नैथानी, डाॅ. सर्वेश उनियाल आदि मौजूद रहे

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