मसूरी में ही बैठेंगे तहसीलदार और पटवारी, खत्म होगी दून-धनोल्टी जाने की दुश्वारी
अब तक मसूरी के आसपास के गांवों को हर काम के लिए देहरादून या धनोल्टी भागना पड़ता था, लेकिन अब मसूरी के अलग तहसील बनने से तहसील स्तर की हर सुविधाएं उन्हें पास में ही मिल जाएंगी। तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी मसूरी से बैठने से लोगों की खाता-खतौनी से संबंधित और आय, जाति आदि प्रमाणपत्रों को बनाने में सहूलियत होगी। दरअसल, अभी तक मसूरी देहरादून तहसील का ही हिस्सा था। लेकिन, अब राज्य सरकार ने मसूरी को नई तहसील बनाने की घोषणा कर दी है। कैबिनेट बैठक में इसका प्रस्ताव पास कर दिया गया है। मसूरी के तहसील बनने अब जिले में आठ तहसील हो जाएंगी। मसूरी तहसील में इसके आसपास के बीस गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव है। ये गांव अभी देहरादून या धनोल्टी तहसील के अंतर्गत आते थे। ऐसे में यहां के लोगों को खाता-खतौनी जैसे जरूरी कामों के लिए भी काफी दूर जाना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें देहरादून या धनोल्टी का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। उनकी खाता-खतौनी का रिकॉर्ड भी मसूरी तहसील में होगा। इसके अलावा उन्हें आय, जाति, वृद्धावस्था, विकलांग प्रमाणपत्र आदि प्रमाणपत्रों के लिए भी नहीं भागना पड़ेगा। एडीएम प्रशासन एसके बरनवाल ने बताया कि मसूरी और आसपास के लोगों को अब तहसील स्तर के सभी कार्यों के लिए दून नहीं आना पडेगा। वहां नियमित रूप से तहसीलदार, पटवारी, के साथ ही ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बैठेंगे।
मसूरी को तहसील का दर्जा दिलाने के लिए कैबिनेट मंत्री और मसूरी विधायक गणेश जोशी ने मुख्यमंत्री का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि अब मसूरी और आसपास के लोगों को जरूरी दस्तावेजों के लिए देहरादून के चक्कर नहीं लगाने पडेंगे। उन्हें तहसील स्तर की हर सुविधा मसूरी में ही प्राप्त होगी।