ऐश्वर्य, रुद्रांश और दिव्यांश ने एशियाड में भारत को पहला स्वर्ण दिलाया, जानें उनके बारे में सबकुछ
हांगझोऊ एशियाई खेलों में भारत को पहला स्वर्ण पदक शूटिंग टीम ने दिलाया है। एशियाई खेलों का आधिकारिक आगाज होने के बाद दूसरे दिन देश को पहला स्वर्ण पदक मिला है। पहले दिन भारतीय खिलाड़ियों ने पांच पदक जीते थे, लेकिन स्वर्ण पदक की तालिका खाली थी। शूटिंग टीम ने सोमवार को स्वर्णिम शुरुआत करते हुए इवेंट में देश को पहला पदक दिलाया और विश्व रिकॉर्ड भी बना दिया। पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल टीम में रुद्राक्ष बालासाहेब पाटिल, दिव्यांश सिंह पंवार और ऐश्वर्य प्रताप सिंह की तिकड़ी ने हांगझोऊ में इतिहास रच दिया। व्यक्तिगत क्वालिफिकेशन राउंड में भारतीय तिकड़ी ने कुल 1893.7 का स्कोर किया और विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। इससे पहले शूटिंग टीम स्पर्धा में सबसे बड़ा स्कोर चीन के नाम था। चीन के खिलाड़ियों ने पिछले महीने बाकू विश्व चैम्पियनशिप में 1893.3 का स्कोर हासिल किया था। भारतीय टीम ने चीन से 0.4 अंक ज्यादा हासिल किए। यहां हम भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली टीम के तीनों खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं।
दिव्यांश ने 12 साल की उम्र में ही दिव्यांश ने शूटिंग का अभ्यास शुरू कर दिया था। वह अपनी बहन के हथियार लेकर अभ्यास करने जाते थे। हालांकि, 2017 में उन्हें पबजी गेम की लत लग गई और उनके पिता ने यह लत छुड़ाने के लिए नई दिल्ली में डॉ. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में उनका दाखिला करा दिया। यहां उन्होंने दीपक कुमार दुबे से ट्रेनिंग ली और लगातार बेहतर होते चले गए। 2018 आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप में दिव्यांश ने दो स्वर्ण पदक जीते और रिकॉर्ड भी बनाए। 2019 आईएसएसएफ विश्व कप में उन्होंने रजत पदक जीता था और विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली टीम का हिस्सा बनकर देश को स्वर्ण पदक दिलाया है। हालांकि, व्यक्तिगत स्पर्धा में वह कुछ खास नहीं कर सके।
19 साल के रुद्राक्ष बालासाहेब पाटिल देश के सबसे बेहतरीन निशानेबाजों में से एक हैं। वह शूटिंग विश्व कप में एक से ज्यादा पदक जीत चुके हैं। वह पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुके हैं और 2022 आईएसएसएफ विश्व चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। वह अभिनव बिंद्रा के बाद विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय शूटर हैं। रुद्राक्ष ने 13 साल की उम्र में शूटिंग की शुरुआत की थी और कुछ महीने बाद ही पदक जीता था। इसके बाद उनके कोच समझ गए थे कि इस लड़के में अलग प्रतिभा है। इसके बाद वह पीछे नहीं हटे और लगातार आगे बढ़ते हुए कई पदक जीते। अब उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर भारत को स्वर्ण पदक दिलाया है।