अंतिम संस्कार
नाम बदलिये
अपने महत्वपूर्ण संस्कारों के साहबानों,
सिर्फ मुझे पता है
आपके संस्कारों के नाम पर
अब तक कितना लुटा चुका हूं,
अपनी जमीन भी गंवा चुका हूं,
मृत्यु पूर्व इलाज कराना मेरा फर्ज़ था,
मृतक के दिए जीवन का चुकाना कर्ज़ था,
मृत्यु के दिन, जोर देकर
सभी की उपस्थिति में आपने कहा था
ये अंतिम संस्कार जरूरी है,
किया मैंने अंतिम संस्कार,
जिसके लिए कर दिया था
और भी जरूरी कार्यों को दरकिनार,
विधान कह करवा सम्पूर्ण श्रृंगार,
कहा कर लो आखिरी दीदार,
मिट्टी कार्य के बाद तीसरे और दसवें दिन
फिर करने पड़े थे कुछ संस्कार,
जिसे आपने नाम दिया है मृत्युभोज,
अब तक हैरान हूं ये है किसकी खोज,
गांव,परिवार,रिश्ते नाते सबको खिलाया,
घर के अंतिम दाने को भी मिलाया,
बड़ी मुश्किल से कुछ महीनों में
जिंदगी को पटरी पर ला पाया,
मुझे पता है बच्चों को कितने दिनों बाद
अन्न का दाना खिलाया,
अब कह रहे हो करना होगा श्राद्ध,
हर बरस जो चलेगा निर्बाध,
कुछ तो सोचो,
अपने को सिर्फ मैंने गंवाया है,
बाकियों ने तो चटकारे ले लेकर खाया है,
कर दिया है मैंने एक बार,
आपके अनुसार अंतिम संस्कार,
बहुत हुआ,
अब तो बख्श दो ब्यवस्थाओं के ठेकेदार।