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ग्वालियर जीवाजी विश्वविद्यालयका कारनामा फर्जी कॉलेज को देते रहे संबद्धता, अब EOW करेगा जांच

भोपाल, मध्यप्रदेश। ग्वालियर स्थित जीवाजी विश्वविद्यालय में एक अनोखा मामला सामने आया है। जिस प्रोफेसर को उन्होंने विश्वविद्यालय में मानसेवी प्रोफेसर के रूप में पढ़ाने के लिए नियुक्त किया था उसे ही विश्वविद्यालय से संबद्ध एक कॉलेज का प्राचार्य बना दिया। जब इस फर्जी कॉलेज के बारे में चर्चा हुई तो विश्वविद्यालय प्रबंधन ने खुद को बचाने के लिए प्रोफेसर की सेवाएं समाप्त कर दी। अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) इस पूरे मामले की जांच कर रहा है।

यह पूरा मामला अरुण शर्मा से जुड़ा है। अरुण शर्मा जीवाजी विश्वविद्यालय में मानसेवी प्रोफेसर के रूप में कार्य करते थे। उन्हें 10 अगस्त को ये कहकर नौकरी से निकाला गया कि, झंडपुरा के शिवशक्ति कॉलेज में प्रिंसिपल के रूप में वे कार्य कर रहे हैं। अरुण शर्मा का कहना है कि, कई बार उन्होंने मामले की निष्पक्ष जाँच की मांग की है। विश्वविद्यालय द्वारा सेवा समाप्त किए जाने पर उन्होंने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की थी। जिसके बाद इस मामले की जाँच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) के पास पहुंची। मामले की गंभीरता को देखते हुए EOW ने जांच शुरू कर दी। इसी जांच के सिलसिले में बुधवार को EOW अधिकारियों का दल जीवाजी विश्वविद्यालय पहुंचा।

कागजों के अनुसार, यह कॉलेज झंडपुरा गांव में था। जीवाजी विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी पहले भी बनाई थी। इस कमेटी में मुरैना एसडीएम, पीजी कॉलेज प्रिंसिपल और जीवाजी विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को शामिल किया गया था। इनके द्वारा जांच पर ध्यान न देने के कारण अब EOW इसकी जांच करेगा।

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