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आपका बटुआ-जब सुल्तान को महल छोड़ कैंप में रहना पड़ा बेलगाम खर्चों से योजनाएं नाकाम, तुगलक न बनें, बचत करें

आज से करीब 700 साल पहले की बात है, जब दिल्ली की गद्दी पर मुहम्मद बिन तुगलक का राज था। कई इतिहासकारों ने उसे ‘बुद्धिमान मूर्ख राजा’ कहा है क्योंकि उसने गद्दी पर बैठते ही कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे खजाना खाली हो गया।तिस पर उस समय ऐसा भीषण अकाल पड़ा, जिससे हजारों लोगों की जान चली गई। वजह यह थी कि तुगलक ने बिना किसी तैयारी के सबसे पहले तो हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली से दौलताबाद को बना दिया, जिसमें जन-धन का काफी नुकसान हुआ।

दूसरे, उसने चांदी की जगह तांबे और चमड़े के सिक्के चलवाए, जिस वजह से महल के बाहर ही चमड़े के सिक्कों का ढेर लग गया। कहते हैं कि अकाल और तुगलक की इन बेतरतीब योजनाओं और बदइंतजामी की वजह से इतने लोग मरे कि दिल्ली की आबो-हवा भी जहरीली हो गई थी। किताब ‘मध्यकालीन भारत’ के लेखक व इतिहासकार डॉ. सतीश चंद्र के मुताबिक, भयानक अकाल और बेतहाशा खर्चों की वजह से खुद सुल्तान तुगलक को दिल्ली का आलीशान महल छोड़कर करीब तीन साल तक कन्नौज के पास गंगा के किनारे स्वर्गद्वारी नाम के एक कैंप में रहना पड़ा था।दरअसल, बीते कुछ सालों से आपकी जिंदगी में रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में ही आपकी सारी कमाई खत्म होती जा रही है यानी दिनोंदिन महंगाई बढ़ती जा रही है। आप जो भी कमा रहे हैं, उसे आपको रहन-सहन, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और खाने-पीने पर खर्च करना पड़ रहा है।यहां तक कि आप बचत के पैसों से जहां कहीं भी घूमने-फिरने या बाहर खाने-पीने, फिल्में देखने जाते थे, उसमें भी मायूस होकर कटौती करनी पड़ रही है।

सबसे पहले यह जानते हैं कि हमारी घरेलू बचत क्यों लगातार कम हो रही है?

फाइनेंशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी के अनुसार, इसके पीछे कई वजहें जिम्मेदार हैं। सबसे बड़ी वजह है- बढ़ती महंगाई। आप जो भी खा-पी रहे हैं, उसकी कीमतें तकरीबन दोगुनी हो चुकी हैं, लेकिन उस अनुपात में हमारी तनख्वाह नहीं बढ़ी हैं।अगर आपने घर या बच्चे की पढ़ाई और इलाज के लिए लोन या कर्ज लिया है तो सैलरी का एक बड़ा हिस्सा उसकी किस्त भरने में ही चला जा रहा है।इसके अलावा, हम बाजार के गुलाम भी बनते जा रहे हैं, जो हमें हर दिन सेल, रिवॉर्ड्स, ऑफर्स का लालच देकर बिना जरूरत की चीजों के लिए पैसे खर्च करवाता रहता है। ‘बाय नाऊ, पे लेटर’ की यह आदत हमारी फिजूलखर्ची बढ़ा रही है, जिसका बोझ आखिरकार हमारी जेब पर ही पड़ रहा है।PRICE ने देश के 25 राज्यों में 40 हजार घरों का सर्वे किया, जिसमें ये बात निकलकर आई कि देश के 69 फीसदी परिवारों में बचत बैंकों में होती है। वहीं 4 फीसदी परिवार डाकघरों में बचत की रकम जमा करते हैं14 फीसदी के साथ बीमा पॉलिसी में भी लोग अपनी बचत के पैसे लगाते हैं। वहीं, प्रत्येक आय समूह के लोगों में सोने में निवेश करना भी पसंदीदा बचत का तरीका

बचत में गिरावट आएगी तो क्या असर होगा?

सबसे पहली बात, अगर लोग बचत कम करेंगे तो सरकारी खजाना खाली होगा यानी सरकार को हमसे कम पैसे मिलेंगे। इसका मतलब यह होगा कि देश के मनी इंजन को चलाने के लिए ‘पेट्रोल’ कम उपलब्ध होगा।

जब आपकी बचत नहीं होगी तो यह आपको मुश्किल में डाल सकता है।

अगर आपकी नौकरी चली जाए या फिर परिवार में किसी का अचानक इलाज कराना पड़े तो आपके पास पैसे नहीं होंगे। बचत से आपको ऐसे इमरजेंसी के दिनों में काफी मदद मिलती है। अगर आप बचत नहीं करते हैं तो कर्ज के बोझ तले दब सकते हैं और दूसरों से उधार लेने की आदत बढ़ सकती है। ऐसे में भविष्य में आप और कर्जों के जाल में फंस सकते हैं।

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