ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की बड़ी घोषणा, सरकारी विभागों और निगमों में बनेंगे E-Charging स्टेशन
शिमला। प्रदेश में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक और बड़ी घोषणा की है। ई-वाहनों की खरीद पर सरकार अनुदान देगी। इसके बाद इन्हें सरकारी विभागों, बोर्ड व निगमों में लगाया जाएगा। ई-टैक्सी चार साल की शुरुआती अवधि के लिए किराए पर ली जा सकेंगी। बेरोजगारों को सरकार ने एक और राहत दी है। यदि कोई ऑपरेटर अच्छी सेवा देता है तो उसके करार को दो साल और बढ़ाया जा सकता है।
संबंधित विभाग या संस्थान विशेष रूप से बनाए गए आनलाइन पोर्टल पर परिवहन विभाग को मांग प्रस्तुत करेंगे। श्रेणी-ए के लिए सिडान कार, श्रेणी-बी के लिए एसयूवी मिड रेंज, श्रेणी-सी के लिए लंबी दूरी की एसयूवी, श्रेणी-डी के लिए प्रीमियम एसयूवी या एमयूवी और श्रेणी-ई के लिए लग्जरी वाहन ई-टैक्सी के रूप में किराए पर लिया जा सकता है।
इन वाहनों के लिए ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएसन ऑफ इंडिया/इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलाजी (एआरएआइ/आइसीएटी) की न्यूनतम रेंज क्रमशः 250 किलोमीटर, 300 किलोमीटर, 400 किलोमीटर, 450 किलोमीटर और 450 किलोमीटर होनी चाहिए। मासिक आधार पर वाहन के लिए तय दूरी लगभग 2500 किलोमीटर निर्धारित की गई है, जो आवश्यकतानुसार कम या ज्यादा भी हो सकती है।
हालांकि एक वर्ष में 30,000 किलोमीटर चलने के बाद संबंधित विभाग द्वारा ई-टैक्सी मालिक को 1.5 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से अतिरिक्त शुल्क का भुगतान किया जाएगा। ई-टैक्सी की किराए की दरें तय करने के लिए एक समिति गठित की जाएगी।
ई-टैक्सी की सेवाएं लेने वाले प्रत्येक विभाग या संस्थान को अपने वाहनों की चार्जिंग सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रिक चार्जर स्थापित करना होगा। यदि किसी विभाग में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए आधारभूत ढांचा नहीं है तो इसके लिए चार्जिंग स्टेशनों के साथ समझौता करना होगा।
परिवहन विभाग आवेदक और खरीदार को ई-वाहन के बारे में नवीनतम तकनीकों, इनके लाभ और अन्य जानकारी बारे जागरूक करने के लिए आरटीओ स्तर पर जागरूकता शिविर, कार्यशालाएं, ई-वाहन डेमो भी आयोजित करेगा।
सरकार ई-टैक्सी की खरीद पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान करके राज्य के युवाओं को रोजगार और स्टार्ट-अप सहायता की गारंटी देगी। सब्सिडी की गणना सभी प्रकार के करों सहित एक्स-शो रूम कीमत पर की जाएगी।आवेदक को परिवहन विभाग के पोर्टल पर एक खाता बनाना होगा, जिसे आधार अथवा मोबाइल ओटीपी के माध्यम से प्रमाणित किया जाएगा।
आवेदनों की छंटनी और जांच क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) स्तर पर की जाएगी। इसके लिए ड्राइविंग टेस्ट होगा। आवेदनों की जांच के बाद परिवहन विभाग योग्य ई-टैक्सी आवेदकों की सूची (रिजर्व पूल) तैयार करेगा, जो दो साल के लिए वैध रहेगी। इसके उपरांत पात्र लाभार्थी की सिफारिशें आवश्यकता के आधार पर उद्योग या नामित विभाग को सब्सिडी की मंजूरी के लिए पारदर्शी तरीके से प्रेषित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी राजीव गांधी स्वरोजगार योजना युवाओं को स्टार्ट-अप के माध्यम से सुनिश्चित स्वरोजगार के साथ ही हिमाचल को हरित राज्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी