भूमि की उपलब्धता और वाणिज्यिक पहलू को ध्यान में रखकर बनेगा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट
उत्तराखंड में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानकों, भूमि की उपलब्धता, यात्रियों की संख्या और वाणिज्यिक पहलू को ध्यान में रखकर कार्य किया जाएगा। देहरादून एयरपोर्ट सलाहकार समिति अध्यक्ष और सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री ने यह जवाब दिया है। प्रदेश के हवाई अड्डों और हेलीपोर्ट के लिए 80.08 करोड़ रुपये जारी किए गए।
वीके सिंह ने दूसरे प्रश्न के जवाब में बताया कि फिलहाल उत्तराखंड के किसी भी एयरपोर्ट को रक्षा मंत्रालय को सौंपने का कोई प्रस्ताव नहीं है। कहा कि नागरिक विमानन मंत्रालय ने क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ाने और जनसाधारण को किफायती विमान यात्रा उपलब्ध कराने के लिए 21 अक्टूबर 2016 को क्षेत्रीय संपर्क योजना (उड़े देश का आम नागरिक) शुरू की। जिसके तहत उत्तराखंड में आरसीएस हवाई अड्डों और हेलीपोर्टों का विकास और आरसीएस उड़ाने प्रचालित करने के लिए पहचान की गई है। जिसमें पिथौरागढ़ और पंतनगर एयरपोर्ट, अल्मोड़ा, चिन्यालीसौड़, गौचर, हल्द्वानी, हरिद्वार, जोशीमठ, मसूरी, नैनीताल, नई टिहरी, रामनगर, सहस्त्रधारा और श्रीनगर शामिल हैं। इसी योजना के अंतर्गत एनएसओपी के तहत सहस्त्रधारा, चिन्यालीसौड़, गौचर, नई टिहरी, हल्द्वानी, अल्मोड़ा और श्रीनगर से हेलीकॉप्टर प्रचालन शुरू हो चुका है।