सूखे की मार झेल रहे किसान, सेब और अन्य फलों के पौधों की बुकिंग रद्द कर रहे बागवान; 50 फीसदी घटा कारोबार
शिमला। सूखे के कारण इस बार शिमला जिला में नर्सरी मालिकों का कारोबार 50 फीसदी घटा है। बारिश बर्फबारी न होने के कारण सेब बागवान नई प्लांटेशन के लिए नर्सियों से पौधें पिछले वर्ष की तुलना में कम खरीद रहे हैं। जिन बागवानों ने नर्सियों से बुकिंग करवाई थी, वह या तो बुकिंग रदद करवा रहे हैं, या फिर पौधे लेने नहीं आ रहे हैं। ऐसे में नर्सरी मालिको को भी घाटा उठाना पड़ रहा है।
शिमला के मल्याणा में बागवानी विभाग से पंजीकृत स्थित और हिमाचल की बेहतरीजन नर्सियों में शुमार प्लांट पासिफिका के मालिक प्रशांत सेहटा ने बताया कि पिछले 3 महीनों से बारिश न होने के कारण सूखा चल रहा है। सूखे के कारण बागवान नई पौधे लगाने के लिए गड्ढ़े बनाने का काम भी नहीं कर पा रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर से बागवानों में यह संशय भी है कि सूखे में मौसम में पौधारोपण करना सही भी रहेगा या नहीं। इन कारणों से बागवान पौधें नहीं खरीद रहे हैं। जिन बागवानों ने पौधें खरीदे हैं वह भी अपनी बुकिंग कम करवा रहे है। न सिर्फ जिला के नर्सरी मालिकों बल्कि नौणी यूनिवर्सिटी की ओर से बागवानों को आबंटित किए जाने वाले पौधें भी 50 प्रतिशत कम ही बिके हैं।
प्रशांत सेहटा का कहना है कि जिला में बीज से तैयार होने वाले पौधे (सीडलिंग) की डिमांड अब समाप्त हो रही है। ज्यादातर बागवान रूट स्टॉक की डिमांड कर रहे हैं। खासकर एम 111 की डिमांड सबसे ज्यादा है। उन्होंने बताया कि यह रूट स्टॉक सूखे में मौसम में भी अन्य रूट स्टॉक के मुकाबले अच्छा चलता है।
इसके अलावा इसमें वूली एफिड जैसे रोगों से बचने के लिए प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा है। इस पर वूली एफिड का संक्रमण भी नहीं होता है। वहीं सेब की किस्मों में बागवान ज्यादातर गाला किस्मों की अधिक डिमांड कर रहे हैं।
प्रशांत सेहटा का कहना है कि अगर आप नए पौधे लगा रहे हैं और आने वाले दिनों में अगर बारिश नहीं होती है तो फिर आपको खास एहतियात बरतने की आवश्यकता है। ऐसे में नए पौधो को लगने के बाद चारो ओर तौलिए जितने भाग में करीब 10 से 15 लीटर पानी जरूर डाले है। सूखा ज्यादा पड़ता है तो फिर सप्ताह में 2 बार भी आप यह पानी डाल सकते हैं, ताकि जमीन में नमी बरकरार रहे।