श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पं. ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में जलवायु परिवर्तन के परिणाम एवं चुनौतियां विषय पर विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया। सेमिनार में प्रदेश के विभिन्न राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। मंगलवार को विवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने सेमिनार का उद्घाटन किया। कुलपति ने कहा कि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। इससे निपटना वर्तमान समय की बड़ी आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव से है। सूर्य की गतिविधि में बदलाव या बड़े ज्वालामुखी विस्फोट, मानव गतिविधियां जलवायु परिवर्तन का मुख्य चालक रही हैं। यह समय जलवायु परिवर्तन की दिशा में गंभीरता से विचार करने का है। परिसर के निदेशक प्रो. महावीर सिंह रावत ने कहा कि मनुष्य आज जलवायु जलवायु परिवर्तन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारकों में से एक हो गया है। यह परिवर्तन तापमान में वृद्धि या कमी, वर्षा में वृद्धि या कमी, मरुस्थलीकरण, अम्लीय वर्षा आदि के रूप में दिखाई पड़ती है। पूर्व आईएफएस सदस्य, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार पर मुख्य सलाहकार समूह, एनएचआरसी के डाॅ. प्रमोद कांत ने कहा कि पेरिस समझौते का अनुच्छेद 5 (1) सभी देशों के लिए कार्बन सिंक के रूप में वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कदम उठाना बनाया है। उत्सर्जन को पूरी तरह से टाला नहीं जा सकता। शायद एकमात्र तरीका वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को दूर करना है। निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड प्रो. सीडी सूठा ने कहा हमें प्राकृतिक के साथ-साथ समाज को लेकर विकास करना होगा। सेमिनार में प्रो. बीआर पंत, प्रो. अरुण सूत्रधार, प्रो. अंजनी प्रसाद दुबे, प्रो. केसी पुरोहित, प्रो. एससी राय, प्रो. बीआर पंत, डॉ. श्याम सिंह, प्रो. एससी राय, प्रो. सुमिता श्रीवास्तव, प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा, प्रो. कंचन लता, प्रो. वीपी सती ने विचार व्यक्त किया।