एफआरआई च्यूरा को कर रहा पुनर्जीवित
चंपावत। कुमाऊं के पहाड़ी जिलों में पाए जाने वाले कल्पवृक्ष के नाम से मशहूर च्यूरा के पेड़ प्रकृति की अनमोल धरोहर हैं। च्यूरा औषधीय गुणों से भरपूर है। एफआरआई ने च्यूरा प्रजाति को फिर से पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया गया है। प्रभागीय वनाधिकारी आरसी कांडपाल के अनुसार च्यूरा वृक्ष से वनस्पति घी और शहद का उत्पादन होने के साथ ही इसके पत्ते कंपोस्ट खाद के रूप में काफी मददगार होते हैं। चंपावत वन प्रभाग के काली कुमाऊं रेंज के छीड़ा बीट में एफआरआई ने प्रयोगशाला और च्यूरा की नर्सरी बनाई है। यहां अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत जिले में उगने वाले च्यूरा प्रजाति के आठ हजार से अधिक पौधे रोपे गए हैं। च्यूरा एक समय में जिले के विभिन्न स्थानों पर काफी मात्रा में होता था, लेकिन इसका उपयोग कम होने के कारण इसका उत्पादन सिमटने लगा।