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ऋषिकेश से बने सर्वाधिक ग्रीन कार्ड, टैक्सी के लिए सबसे ज्यादा अवेदन, ऐसे करें अप्लाई

चारधाम यात्रा के लिए ग्रीन कार्ड बनाए जा रहे हैं। राज्य में अब तक 1,825 ग्रीन कार्ड बनाए जा चुके हैैं। ग्रीन कार्ड बनाने की रफ्तार अभी धीमी है। 2,679 वाहन संचालकों ने ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया है। इसके सापेक्ष अभी तक 1,800 ग्रीन कार्ड ही बनाए गए हैं। पिछले साल कुल 25,000 से अधिक ग्रीन कार्ड बनाए गए थे। इस सत्र में सर्वाधिक ग्रीन कार्ड ऋषिकेश परिवहन कार्यालय से बने हैं। चारधाम यात्रा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। परिवहन विभाग तेजी से व्यावसायिक वाहनों के ग्रीन कार्ड बना रहा है। लेकिन, पिछले साल की अपेक्षा यह गति अभी धीमी है। अब तक के आंकड़ों के अनुसार ऋषिकेश से 672, देहरादून से 285, हरिद्वार से 644 व रुड़की परिवहन कार्यालय से 145 ग्रीन कार्ड जारी किए जा चुके हैंं। कुल 854 वाहनों के ग्रीन कार्ड लंबित हैं। चारधाम यात्रा में जाने के लिए टैक्सी, मिनी बस, बस और मैक्सी संचालकों ने ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया है। अब तक 1,009 टैक्सी संचालकों को ग्रीन कार्ड जारी किए गए हैं, जबकि महज 268 मिनी बसों को ग्रीन कार्ड जारी किया गया है।

ऐसे करें ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन

चारधाम यात्रा में जाने के लिए व्यावसायिक वाहनों के ग्रीन कार्ड फिटनेस जांच के बाद ही जारी किए जाएंगे। ग्रीन कार्ड बनाने के लिए पोर्टल https://greencard.uk.gov.in/ पर आवेदन कर सकते हैं। पोर्टल में आवेदक को अपने वाहन का नंबर और चेसिस नंबर डालने पर वाहन की पूरी जानकारी मिल जाएगी। यह पता चल सकेगा कि वाहन के सभी कागजात सही हैं या नहीं। ग्रीन कार्ड बनाने संबंधी सभी जरूरी जानकारी डालने और फीस जमा करने के बाद एक रसीद जारी होगी। इसे लेकर आवेदकों को आरटीओ कार्यालय जाना होगा, वहां वाहन की फिटनेस के बाद ग्रीन कार्ड जारी कर दिया जाएगा। ग्रीन कार्ड बनाने का लिंक उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट में भी दिया गया है। यहां यात्रा का पंजीकरण कराने वाले यात्रियों को ग्रीन कार्ड बनाने का विकल्प भी मिलेगा। व्यावसायिक वाहनों के लिए ट्रिप कार्ड बनाना जरूरी होगा। पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जाकर बनवा सकेंगे। इसमें यह तय किया जाएगा कि किस वाहन में कितने लोग, किस तिथि पर यात्रा करेंगे।

ग्रीन कार्ड बनाने का काम तेजी से चल रहा है। सभी परिवहन कार्यालयों से आवेदन आ रहे हैं। वाहन संचालकों को कोई असुविधा न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
– सुनील शर्मा, आरटीओ प्रशासन, देहरादून

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