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लियर रियासत की आखिरी महारानी थीं माधवी राजमाता विजयाराजे को मुखाग्नि देने पति माधवराव को तैयार किया था; नेपाल से त्रिपुरा तक रिश्तेदारी

ग्वालियर राजघराने की राजमाता माधवी राजे (76 वर्ष) का बुधवार को निधन हो गया। माधवी राजे नेपाल राजपरिवार की राजकुमारी थीं। उनकी सास राजमाता विजयाराजे सिंधिया का ताल्लुक भी नेपाल के ही एक राजघराने से था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया और मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया के बीच आई खटास में भी कभी उन्होंने मर्यादा नहीं तोड़ी। उनके और सास विजयाराजे सिंधिया के बीच कभी मतभेद नहीं पनपा।

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई अपनी किताब “सिंधिया राजघराना” में विजयाराजे और माधवराव के बीच की दूरी और उनके अंतिम संस्कार से जुड़े वाकये का जिक्र करते हैं कि कैसे माधवी राजे ने माधवराव को मनाया था। एक बार राजमाता विजयाराजे ने माधवराव को उनके अंतिम संस्कार में शामिल न होने के लिए कहा था, पर साल 2001 में विजयाराजे के निधन पर माधवराव ने ही उनको मुखाग्नि दी थी। इसके पीछे भी माधवी राजे थीं। उन्होंने जीवन भर परिवार की डोर थामे रखी। विजयाराजे के निधन के 9 महीने बाद एक प्लेन हादसे में माधवराव सिंधिया का निधन हुआ था।

माधवी और माधवराव की शादी 1966 में हुई थी। माधवी राजे इस राजपरिवार की आखिरी महारानी भी रहीं। कारण की 1971 में इंदिरा गांधी ने भारत के संविधान में 26वां संशोधन कर रियासतों के सभी आधिकारिक प्रतीक, जिसमें शीर्षक, विशेषाधिकार और पारिश्रमिक शामिल थे, को समाप्त कर दिया था। इसके बावजूद इस राजपरिवार की परंपरा अब भी कायम है। यहां तक कि सिंधिया राजघराने ने अपने रिश्ते भी देश के दूसरे राजघरानों से ही जोड़ा है।

सिंधिया राजघराने से जुड़े राजपरिवारों की पढ़ें पूरी कहानी…

ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल बताते हैं- सिंधिया राजघराने के रिश्ते देश के कई नामी राजघरानों में रहे हैं। इसमें जम्मू कश्मीर का डोगरा राजवंश हो या फिर त्रिपुरा का बर्मन राजवंश। इस परिवार ने भोंसले, गायकवाड़ राजपरिवार से अपने रिश्ते जोड़े हैं। 150 साल पहले जयाजी राव सिंधिया ने देश के नामी राजघरानों से शादियां करने की शुरुआत की थी।

माधवी राजे के बाबा नेपाल के प्रधानमंत्री रहे

ग्वालियर राजघराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया के बाबा जुद्ध शमशेर जंग बहादुर का नेपाल के इतिहास में एक अलग ही स्थान है। वे राणावंश के सबसे ताकतवर शख्स थे। राणा परिवार ने 1846 से 1951 तक नेपाल में प्रधानमंत्री पद वंशानुगत कर दिया था। मतलब इसी परिवार के सदस्य वहां प्रधानमंत्री बनते रहे। उस समय शाह राजपरिवार के शासक सिर्फ नाममात्र के राजा रह गए थे।

1951 में एक विद्रोह के बाद राणा परिवार के प्रधानमंत्री बनने की परंपरा को समाप्त किया गया। आज, भी राणा परिवार का नेपाल में प्रभुत्व है। हालांकि, ये परिवार अब राजनीति की बजाय बिजनेस में सक्रिय है। सिंधिया राजघराने के माधवराव सिंधिया पहले पुरुष शासक थे, जिनका विवाह देश के बाहर नेपाल के राणा राजपरिवार में जन्मी किरण राज लक्ष्मी से हुआ था। माधवी राजे के चचेरे भाई शमशेर जंग बहादुर राणा से माधव राव सिंधिया की बहन उषा राजे की शादी हुई थी। उषा राजे की दूसरी बेटी देवयानी से नेपाल के प्रिंस दीपेंद्र शाह शादी करना चाहते थे। हालांकि, ये रिश्ता नहीं हो पाया।

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