उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही बीपी की समस्या, महिलाओं की तुलना में पुरुष इस बीमारी से घिरे
देहरादून : हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि राज्य में उच्च रक्तचाप के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ताज्जुब इस बात का है कि सिक्किम के बाद उत्तराखंड दूसरा ऐसा राज्य है जहां सर्वाधिक पुरुष इस समस्या से ग्रसित हैं। महिलाओं की तुलना में करीब डेढ़ गुना अधिक पुरुष हाई बीपी की समस्या से घिरे हैं। एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में हर तीन में से एक पुरुष (31.8 प्रतिशत) हाइपरटेंशन से पीड़ित है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने की दवा लेता है। यह राष्ट्रीय औसत से 7.8 प्रतिशत ज्यादा है। राज्य में महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर का आंकड़ा 22.9 प्रतिशत है। यह भी राष्ट्रीय औसत से 1.6 प्रतिशत अधिक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अनियमित दिनचर्या गलत खानपान, शारीरिक निष्क्रियता, मोटापा आदि इसके प्रमुख कारक हैं। ब्लड प्रेशर बढ़ने से हृदय, लिवर, किडनी और अन्य अंगों के लिए भी खतरा होता है।
दून मेडिकल कालेज के वरिष्ठ फिजिशियन डा. अंकुर पांडे ने बताया कि धूमपान, गलत खानपान, मोटापा, भागदौड़ भरी दिनचर्या, तनाव, दवा खाने में लापरवाही की वजह से बीपी की समस्या गंभीर हो रही है। कई शोध में आया है कि पहाड़ के मरीजों में बीपी ज्यादा मिलता है। जांच कराने में महिलाएं ज्यादा जागरूक हैं। अपने खानपान और दिनचर्या को संतुलित रख एवं समय पर इलाज कराकर गंभीर समस्या से बचा जा सकता है।
10 प्रतिशत युवाओं को बीपी की समस्या
जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डा. प्रवीण पंवार ने बताया कि 40 साल से ज्यादा, शुगर के मरीजों, गर्भवती महिलाओं में बीपी की ज्यादा समस्या देखी जा रही है। जिन्हें खानपान पर नियंत्रण, फालोअप और लगातार जांच की सलाह एवं दवाई दी जाती हैं। कोलस्ट्रोल बढ़ा होने की वजह से भी बीपी बढ़ता है। पहाड़ के मरीजों में आक्सीजन कम होने की वजह से यह समस्या होती है। युवावस्था में 100 में से 10 को बीपी निकलता है।