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धान की सीधी बुआई हो सकती है फायदेमंद : डॉ. क्वात्रा

काशीपुर। जिले में खरीफ के मौसम में विशेषत: धान बुआई के दौरान मजदूरों की समस्या आ सकती है। ऐसे किसानों के लिए धान की सीधी बुआई फायदेमंद साबित हो सकती है। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी व कृषि वैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र क्वात्रा ने कहा जिले में मजदूरों की कमी के चलते आने वाले मौसम में धान की सीधी बुआई करना लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बुआई में नर्सरी नहीं उगाई जाती है। बल्कि अंकुरित बीज सीधे ट्रैक्टर से संचालित मशीन से खेत में ड्रिल किए जाते हैं और मशीनों की सहायता से खेत को तैयार कर धान की सीधी बुआई कर सकते हैं। कहा कि सीधी बुआई तकनीक में 25-30 फीसदी तक पानी कम लगता है जबकि रोपाई विधि में खेत में 4-5 सेमी पानी भरा होना चाहिए। इसके अलावा सीधी बुआई में समय कम लगता है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. क्वात्रा ने बताया कि यदि किसान सीधी बुआई करना चाहते हैं तो 20 जून से पहले कर लें। इसके लिए खेत की जुताई से 1 सप्ताह पूर्व खेत में पानी भरे जब खेत सूख जाए। तब इसमें मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें। दो से तीन जुताई करने के बाद खेत को समतल कर दें। धान की बुआई मशीनों से करने के लिए 20-25 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। बासमती धान के लिए यह मात्रा कम कर सकते हैं। बीज की गहराई 2 से 3 सेंटीमीटर के मध्य रखें तथा पौधे से पौधे की दूरी 5 से 7 सेंटीमीटर तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखें। बताया यह विधि हल्की एवं रेतीली भूमि के लिए उपयुक्त नहीं है।

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