72 हजार करोड़ की लागत से पूरी होगी पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना
20 साल बाद पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक राष्ट्रीय परियोजना को आगे बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। इसको लेकर भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतरराज्यीय नदी लिंक परियोजना के क्रियान्वयन की संयुक्त पहल का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के बीच मध्य प्रदेश और राजस्थान ने डीपीआर तैयार करने के लिए एमओयू किया है। परियोजना में तीन नदियों को जोड़ने पर कुल 72 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें मध्य प्रदेश का हिस्सा 35 हजार करोड़ और राजस्थान का 37 हजार करोड़ रुपये है। परियोजना के पूरा होने पर कुल 6.17 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इससे मध्य प्रदेश और राजस्थान के लाखों किसानों को फायदा होगा। इसमें प्रदेश के 30 लाख किसान परिवारों को लाभ मिलेगा। वहीं, परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश में कुल 17 बैराज बनाए जाएंगे। यह इंदौर, उज्जैन, धार, गुना, शिवपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, शाजापुर और आगर मालवा में बनेंगे। इंदौर में बांध बनने से 12 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। उज्जैन में 65 हजार, धार में 10 हजार, आगर मालवा में 4, शाजापुर में 46, शिवपुरी 95 हजार, श्योपुर में 25 हजार, गुना-ग्वालियर-भिंड में 80 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होगी।इसके साथ ही इस परियोजना से पेयजल की भी व्यवस्था की जाएगी। प्रदेश के कुल 9 जिलों में 323 मिलियन घनमीटर पीने के पानी की व्यवस्था होगी। इनमें इंदौर, उज्जैन, धार, गुना, श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड और शाजापुर जिले शामिल हैं। इसके साथ ही इस परियोजना से चार जिलों में उद्योगों के लिए भी पानी की व्यवस्था की जाएगी। इसमें उज्जैन, देवास, शाजापुर और आगर मालवा शामिल हैं। कुल 30 मिलियन घनमीटर पानी की व्यवस्था होगी। वहीं, राजस्थान में कूल नदी, पार्वती नदी, कालीसिंध नदी, मेज नदी पर एक-एक और बनास नदी पर दो मिलाकर कुल 6 बैराज बनेंगे। 2.80 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी। इसके साथ ही इस परियोजना के लिए ईसारदा बांध और 26 अन्य बांधों का नवीनीकरण और एकीकरण किया जाएगा।
राजस्थान और मध्यप्र देश के अंदर खाटू श्याम से महाकाल तक कॉरीडोर बनाने के प्रयास होंगे। इससे राजस्थान- मध्यप्रदेश के अंदर पर्यटक और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी। स्थापत्य कला को भी देखने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में श्रीअन्न (मोटा अनाज) को बढ़ावा देने के प्रयास होंगे। इन योजनाओं से जल का स्तर बढ़ेगा। किसानों को लाभ पहुंचेगा। पीने का पानी भी नागरिकों को मिलेगा। रणथंभोर से टाइगर मध्य प्रदेश आ जाते हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश से चीते राजस्थान के बारां जिले पहुंच जाते हैं। वन्य-प्राणियों के संरक्षण और पर्यटन के लिए योजना बनाई जाएगी।
– पर्यटन क्षेत्रों का संयुक्त विकास।
-श्री कृष्ण पाथेय कृष्ण गमन पथ निर्माण।
-खाटू-श्याम जी, नाथद्वारा, उज्जैन, ओंकारेश्वर के मध्य वंदे भारत ट्रेन/ इलेक्ट्रिक बस का संचालन किया जाए।
– राजस्थान मध्यप्रदेश की खनन नीति को अपना कर राजस्व में वृद्धि कर सकता है।
– बजरी का प्रयोग बंद कर स्टोन डस्ट और एम सैंड के उपयोग को बढ़ावा।
– आयुर्वेद/आयुष/ पंचकर्म पर्यटन को बढ़ावा देने के संयुक्त प्रयास।
– मध्य प्रदेश पर्यटन की होटल आऊटसोर्सिंग पॉलिसी को राजस्थान अपना सकता है।
– अफीम/डोडा चूरा से जुड़े अपराधियों का डेटा बेस साझा किया जाए एवं नीलामी पॉलिसी में एकरूपता लाई जाए।
– दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित मेडिकल कॉलेज की स्थिति/ दूरी का युक्ति युक्तकरण किया जाए।
– कूनो से लगे राजस्थान के वन क्षेत्रों को मिलाकर एक संयुक्त बड़ा राष्ट्रीय पार्क बनाया जाए।