सरकारी कर्मचारियों के RSS में शामिल होने पर लगी रोक हटी? कांग्रेस क्यों लगा रही आरोप, जानिए पूरी बात
सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर बैन को हटाने के एक आदेश को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस का आरोप है कि इस आदेश से आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर लगे बैन को हटा दिया गया है। 58 साल पहले 1966 में केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया था। पिछले हफ्ते कथित तौर पर केंद्र सरकार ने ये आदेश जारी किया है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी इस आदेश को एक्स पर पोस्ट की है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शेयर किया आदेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में एक ऑफिस मेमोरेंडम का हवाला दिया था। यह मेमोरेंडम 9 जुलाई का बताया जा रहा है। जयराम रमेश ने एक्स पर कहा, ‘फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था – और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है। 4 जून 2024 के बाद, स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था। मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है।’
यह आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी से संबंधित है। लेकिन ये मेमोरेंडम DoPT की वेबसाइट पर नहीं मिला। कांग्रेस नेताओं द्वारा X पर शेयर किए गए इस कथित सरकारी आदेश की सत्यता की भी पुष्टि नहीं हो सकी है।
सरकार के आदेश में क्या?
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने रविवार देर रात एक ऑफिस मेमोरेंडम की एक तस्वीर पोस्ट की। यह मेमोरेंडम 9 जुलाई का है। यह “आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी” से संबंधित है। कथित आदेश में लिखा है, ‘अधीनस्थ को इस विषय पर 30.11.1966 के ओएम (कार्यालय ज्ञापन), ओएम संख्या 7/4/70-स्था.(ब) दिनांक 25.07.1970 और ओएम संख्या 15014/3(एस)/80-स्था.(ब) दिनांक 28.10.1980 का हवाला देने का निर्देश दिया जाता है। उपरोक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि 30.11.1966, 25.07.1970 और 28.10.1980 के impugned ओएम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का उल्लेख हटा दिया जाए।’ इस कथित आदेश के ऊपर DoPT लिखा हुआ है।
कांग्रेस का आरएसएस पर आरोप
रमेश ने एक पोस्ट में कहा, ‘सरदार पटेल ने गांधी जी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में अच्छे व्यवहार के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया था। इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में तिरंगा नहीं फहराया।’
बीजेपी आइटी सेल प्रमुख ने की तारीफ
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी ये आदेश एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने कहा, ’58 साल पहले 1966 में जारी किया गया असंवैधानिक आदेश, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था, मोदी सरकार ने वापस ले लिया है। मूल आदेश को पहले ही पारित नहीं किया जाना चाहिए था। यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया था क्योंकि 7 नवंबर 1966 को संसद में गोहत्या के खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। आरएसएस-जनसंघ ने लाखों लोगों का समर्थन जुटाया था। पुलिस की गोलीबारी में कई लोग मारे गए। 30 नवंबर 1966 को आरएसएस-जनसंघ के प्रभाव से हिलकर इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया।’
RSS ने सरकार के आदेश का किया स्वागत
इस मामले में आरएसएस का बयान भी सामने आया है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है। अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था।शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।’
क्या है इस आदेश का इतिहास?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस आदेश का स्वागत किया है। केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों द्वारा जारी उन आदेशों में संशोधन किया गया है, जिनमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं और उसकी अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाया गया था। आरोप है कि पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर कर्मचारियों को कड़ी सजा देने तक का प्रावधान लागू किया गया था। सेवानिवृत होने के बाद पेंशन लाभ इत्यादि को ध्यान में रखते हुए सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने से बचते थे। हालांकि, इस बीच मध्यप्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने इस आदेश को निरस्त कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी केंद्र सरकार के स्तर पर यह वैध बना हुआ था। इस मामले में एक वाद इंदौर की अदालत में चल रहा था, जिस पर अदालत ने केंद्र सरकार से सफाई मांगी थी। इसी पर कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए उक्त प्रतिबंधों को समाप्त करने की घोषणा की।