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मोहन सरकार की आर्थिक चुनौतियाँ मंत्री और विधायक नई योजनाओं के लिए नहीं कर पाएंगे फंड का उपयोग

भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जो सरकार की आर्थिक स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। वित्त विभाग के हालिया आदेश के अनुसार अब राज्य के मंत्री और विधायक नई योजनाओं के लिए फंड का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। उन्हें इसके लिए प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट में प्रस्तुत करना होगा और कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद ही फंड रिलीज किया जाएगा।

सरकार की आर्थिक स्थिति की गंभीरता

इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए वित्त विभाग ने सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। यह कदम इस बात का संकेत है कि सरकार के पास विकास के लिए आवश्यक राशि की कमी है। वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश से स्पष्ट है कि आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

सरकार की आर्थिक स्थिति में आई इस गिरावट का मुख्य कारण लाड़ली बहना योजना को माना जा रहा है। यह योजना विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई थी और इसके चलते भाजपा ने प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई। हालांकि, अब सरकार इस योजना को बंद करने में असमर्थ है, जिससे राज्य के विकास कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा, कई अन्य विभागों के विकास कार्यों के लिए भी फंड रोके गए हैं। इस स्थिति ने विभिन्न योजनाओं की प्रगति को प्रभावित किया है। वित्तीय प्रबंधन के इस दृष्टिकोण का उद्देश्य अब केवल अति महत्वपूर्ण योजनाओं और कार्यों को प्राथमिकता देना है, जबकि अन्य योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी है।

वहीं, अब मंत्रियों और विधायकों की तरफ से इस आदेश को लेकर चिंता जताई जा रही है। कई नेताओं ने इस बात पर सवाल उठाए हैं कि अगर विकास योजनाओं के लिए फंड उपलब्ध नहीं होगा, तो प्रदेश के विकास की गति कैसे बनाए रखी जाएगी। सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि आवश्यक योजनाओं के लिए फंडिंग की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए, ताकि विकास कार्यों में कोई रुकावट न आए। यदि मौजूदा स्थिति बनी रहती है, तो यह आने वाले चुनावों में भी सरकार की स्थिति को प्रभावित कर सकती है।

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