लंबा जीवन जीने वालों से सीखने वाली 10 बातें वो ताजी चीजें खाते हैं, सफलता के पीछे नहीं भागते, दिल खोलकर प्यार करते हैं
हर कोई लंबी उम्र पाना चाहता है, लेकिन हमारी लाइफस्टाइल ऐसी है कि वो हमें वक्त से पहले बूढ़ा और बीमार बना रही है। आजकल की जीवनशैली में लोगों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उनकी सेहत और उम्र पर बुरा असर डालती हैं। जैसे रोज देर से सोना और जल्दी न उठ पाना, जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड खाते रहना, चीनी का ज्यादा सेवन करना, कोई एक्सरसाइज न करना, काम को लेकर हमेशा तनाव में रहना और भयानक बिजी लाइफ।
यूनाइटेड नेशन्स के ‘डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल अफेयर्स’ के एक सर्वे के मुताबिक, 2024 में भारत की वर्तमान लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70.62 साल है। यानी भारतीय औसतन 70 साल के लगभग जीते हैं। यह बाकी देशों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी की तुलना में कम है। दुनिया में बहुत सारे देश ऐसे हैं, जहां लोग लंबी और स्वस्थ जिंदगी जीते हैं। आखिर उनकी जिंदगी में ऐसा क्या खास है। वो कौन सी चीजें हैं, जो उन्हें लंबी सेहतमंद जिंदगी की नेमत बख्शती हैं।
इन्हीं सवालों का जवाब जानने की कोशिश करेंगे, आज के रिलेशनशिप कॉलम में। साथ ही जानेंगे उन ‘ब्लू जोन’ देशों के बारे में, जहां लोग 100 साल तक जीते हैं।
लंबी उम्र का 70-80% संबंध हमारी लाइफस्टाइल से
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक स्टडी के मुताबिक, हमारी जेनेटिक डिजाइन से लंबी उम्र का संबंध सिर्फ 20% से 30% है। बाकी 70% से 80% यह हमारी जीवनशैली पर निर्भर करता है। यानी यह वाकई हमारे जीवन जीने के तरीके पर ही निर्भर करता है कि हम कितना लंबा और खुशहाल जीवन जिएंगे।
जवानी में हम अपनी दिनचर्या पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं। फास्ट फूड जैसेकि बर्गर, मोमोज, मैगी, पिज्जा खाते रहना, घंटों मोबाइल चलाना, रील्स देखना, गेम खेलना, परिवार के साथ समय नहीं बिताना और फिर जल्दी थक जाना। इस तरह की लाइफस्टाइल का हमारे स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक असर पड़ता है। इसका असर सालों बाद हमारी सेहत पर नजर आता है।
आधुनिक शहरी जीवन के नकारात्मक पहलू
साइकोलॉजिस्ट डॉ. जफर खान कहते हैं कि शहरी जिंदगी का तनाव, प्रतिस्पर्द्धा और अकेलापन, ये सब आधुनिकता के चंद नकारात्मक पहलू भी हैं। हमें इनके बारे में सोचने और काम करने की जरूरत है। जैसेकि-
- जीवन में बहुत ज्यादा तनाव और वर्कलोड है।
- लोग परिवार से दूर अलग-अलग शहरों में रहते हैं।
- जीवन में वास्तविक, गहरी दोस्तियों का अभाव है।
- दफ्तर में कॉम्पटीशन ज्यादा और सद्भाव कम है।
- लोग अपने-अपने घरों में आइसोलेटेड जीवन में जी रहे हैं।
- कई बार तो महानगरों में पड़ोसी भी अपने पड़ोसी को नहीं जानते।
- न्यूक्लियर परिवार बढ़ने से फैमिली सपोर्ट नहीं मिल पाता।
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अकेलापन और तनाव कर रहा आपकी उम्र को कम
सिर्फ खान-पान या खराब लाइफस्टाइल ही नहीं, समाज से अलगाव और शहरों में रह रहे लोगों का अकेलापन भी एक कारण हो सकता है, जो हमारी उम्र पर असर डाल रहा है। आजकल लोगों के पास अपनी बात कहने, अपना दर्द बयां करने के लिए भी कोई नहीं है। वे प्यार, समर्थन और साथ न खोज पाने के कारण अकेलापन और तनाव झेल रहे होते हैं।
साइकोलॉजिस्ट डॉ. जफर खान कहते हैं कि अकेलेपन के कारण आप दूसरों से अलग-थलग महसूस कर सकते हैं। इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, दोनों पर असर पड़ता है। अकेलेपन से उपजा तनाव आपको परेशान कर सकता है। बार-बार बुरे ख्याल आना, अवसाद और शरीर में दर्द जैसे शारीरिक लक्षण भी हो सकते हैं।
सफलता पाने की होड़ में पागल हो जाना
साइकोलॉजिस्ट डॉ. जफर खान कहते हैं कि आज के कॉम्पिटीटिव वर्ल्ड में हर कोई सफलता के पीछे भाग रहा है। इससे भी लोगों में और खासकर युवाओं में तनाव बढ़ रहा है। साथ ही काम के बोझ, लगातार दूसरों से बेहतर करने की दौड़ में हम अपनी सेहत और मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर रहे हैं। इसका एहसास हमें तब होता है, जब बहुत देर हो जाती है।
जिंदगी में प्यार कम और ईर्ष्या ज्यादा
दफ्तर में, परिवार में, समाज में, जिंदगी में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ रही है और उसी से उपज रही है ईर्ष्या। साइकोलॉजिस्ट डॉ. जफर खान कहते हैं कि हमारे पास जो है, हम उसमें संतुष्टि नहीं है। जीवन में प्यार, सद्भाव और समर्थन की भावना कम हो रही है। यह लाइफ एक्सपेक्टेंसी के लिए बहुत खतरनाक है।
बुढ़ापा एक बीमारी है और इसका इलाज भी है
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जेनेटिक्स के प्रोफेसर डेविड ए. सिंक्लेयर ने एक किताब लिखी है- ‘लाइफस्पैन: वाय वी एज एंड वाय वी डोंट हैव टू।’ उन्होंने इस बारे में एक सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि हमारी उम्र क्यों बढ़ती है और लंबा हम जीवन कैसे जी सकते हैं। उनका तर्क है कि हम अपनी जीवनशैली को बदलकर हम लंबी आयु प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए ये समझना होगा कि लंबा जीवन जीने वालों में ऐसा क्या खास है।
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इन जगहों का कैसे पड़ा ‘ब्लू जोन’ नाम…
इन जगहों को ‘ब्लू जोन’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन इलाकों को मैप पर नीली स्याही से हाईलाइट किया गया था। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। एक बार अमेरिकन लेखक डैन ब्यूटनर डेमोग्राफर, मिशेल पॉलेन के साथ एक रिसर्च कर रहे थे। वे मैप पर उन इलाकों को आइडेंटिफाई कर रहे थे, जहां लोग 100 साल से ज्यादा जीते हैं। जब उन्हें ये जगहें मिलीं तो उन्होंने उस वक्त अपने हाथ में पकड़े नीले पेन से उसे हाईलाइट कर दिया। तभी से उन जगहों का नाम ‘ब्लू जोन’ पड़ गया।