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पटियों पर नरोत्तम मिश्रा, क्या दतिया में ख़त्म होने वाला है दादा का जलवा…समर्थकों में हलचल!

दतिया  मध्य प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता नरोत्तम मिश्रा, जिन्हें ‘दादा’ के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन हाल ही में आई खबरों से उनके इस एकाधिकार पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं।

वायरल हो रही एक तस्वीर में नरोत्तम मिश्रा दतिया भ्रमण के दौरान पटियों पर बैठे दिखाई दिए। इसे सोशल मीडिया पर मजाकिया अंदाज में शेयर किया जा रहा है, और लोग कह रहे हैं कि जल्द ही वे राजनीतिक रूप से भी पटियों पर बैठे नजर आएंगे। यह तस्वीर एक प्रतीक के रूप में ली जा रही है, जो उनके गिरते हुए राजनीतिक प्रभाव की ओर इशारा कर रही है।

लेकिन असल राजनीतिक भूचाल तब आया जब यह खबर सामने आई कि दतिया से कांग्रेस विधायक राजेंद्र भारती भाजपा में शामिल हो सकते हैं। यह अटकलें चंबल संभाग में तेजी से फैल रही हैं, हालांकि इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। कहा जा रहा है कि भाजपा के एक बड़े नेता भारती से लगातार संपर्क में हैं और जल्द ही वे भाजपा का दामन थाम सकते हैं।

अगर राजेंद्र भारती भाजपा में शामिल हो जाते हैं, तो यह नरोत्तम मिश्रा के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। राजेंद्र भारती को नरोत्तम मिश्रा का सबसे बड़ा विरोधी माना जाता है, और यह कोई छुपी बात नहीं है कि नरोत्तम मिश्रा ने उन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से काफी परेशान किया। भारती को हथकड़ी लगाकर घुमाने से लेकर उनके परिवार के लोगों पर पुलिसिया कार्रवाई तक, इन घटनाओं ने दतिया में मिश्रा और भारती के बीच संघर्ष को और तीखा बना दिया।

अब, अगर राजेंद्र भारती भाजपा में आते हैं, तो वे दतिया के सबसे प्रभावशाली नेता के रूप में उभर सकते हैं, और नरोत्तम मिश्रा का वर्षों से कायम राजनीतिक वर्चस्व खतरे में पड़ सकता है। यहां तक कि अगले विधानसभा चुनाव में नरोत्तम मिश्रा को अपना चुनाव क्षेत्र भी बदलना पड़ सकता है।

मजेदार बात यह है कि भारती की भाजपा में एंट्री के लिए जो प्रयास हो रहे हैं, उनमें नरोत्तम मिश्रा की कोई भूमिका नहीं है। बल्कि, वे लगातार इस कोशिश में लगे हुए हैं कि किसी भी तरह राजेंद्र भारती की भाजपा में एंट्री को रोका जाए। इसके लिए मिश्रा लगातार दिल्ली का दौरा कर रहे हैं और पार्टी नेतृत्व से संपर्क साध रहे हैं। लेकिन खबरें आ रही हैं कि दिल्ली में मिश्रा का प्रभाव कम होता नजर आ रहा है, और उनके समर्थक भी इस स्थिति को बड़ी बारीकी से देख रहे हैं।

अब सवाल उठता है कि क्या वाकई नरोत्तम मिश्रा का दतिया में राजनीतिक प्रभाव खत्म होने की कगार पर है? दतिया में उनकी छवि एक मजबूत नेता की रही है, लेकिन राजेंद्र भारती की भाजपा में एंट्री से उनका यह एकाधिकार कमजोर हो सकता है। राजनीति में समीकरण कभी भी बदल सकते हैं, और ऐसे में आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा कि नरोत्तम मिश्रा इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं।

दतिया की राजनीति में यह परिवर्तन एक नई दिशा की ओर इशारा कर रहा है। क्या वाकई दादा का जलवा खत्म हो रहा है, या वे इस चुनौती से उभरकर फिर से अपनी पकड़ मजबूत करेंगे? ये सवाल आने वाले चुनावों में जरूर जवाब पाएंगे।

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