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बजरंग बली हनुमान ने किया लंकेश की स्वर्ण लंका को अग्नि को समर्पित

आगरा। रामलीला मैदान में सोने की लंका में माता जानकी सुन्दर सुसज्तित एवं फली से लगी हुई अशोक वाटिका में बैठी हुई थी। दर्शक व बच्चे अशोक वाटिका को देखकर उत्साहित हो रहे है। हनुमान जी अपने स्वरूप से दर्शकों को अपनी ओर खींच रहे है। आज की लीला में प्रभू राम द्वारा वर्षों का वर्णन किया गया। प्रभू राम द्वारा लक्ष्मण जी को सुचीय के पास भेजा गया। सुग्रीव जी प्रभू श्रीराम द्वारा बताये गये कार्य को भूल गए। भूले हुए कार्य की क्षमा मांगना। वानरराज सुग्रीव द्वारा माता जी की खोज में यानरों को भेजना। जामवन्त जी द्वारा समुद्र को पार करने में अपने को असमर्थ पाने पर हनुमान जी को याद दिलाना।

याद आकर हनुमान जी का समुद्र को पार करना। समुद्र की निशाचरी को मारकर लंकिनी को जीत लेगा और लंका में घुस जाना। लंका में घुस कर हनुमान जी द्वारा मा जानकी की खोज की जाती है। सीताजी जी अशोक वाटिका में बैठी चीखती हैं जहां माता जानकी व दशानन का संवाद चल रहा होता है। हनुमान जी परत्तों की ओट से सीताजी को पहचान लेते हैं और प्रभू श्री राम द्वारा दी गई मुद्रिका को गिराते हैं। सीताजी तुरन्त पहचान लेती है। सीताजी व हनुमान जी में वार्तालाप होता है। तभी हनुमान जी को मूख लगती है।

माता की आशा पाकर हनुमान जी अशोक वाटिका में फलों को जाते है और अशोक वाटिका को उजाड़ देते है। तभी लंका के राजा रावण पर समाचार पहुंचता है कि कोई विचित्र वानर अशोक वाटिका को उजाड़ रहा है। दशानन अपने पुत्र अक्षय कुमार को वानर को पकड़ने के लिये भेजते हैं। हनुमान जी द्वारा अक्षय कुमार को मार दिया जाता है। अक्षय कुमार के मारे जाने की खबर सुनकर दशानन अपने पुत्र इन्द्रजीत को भेजते है। इन्द्रजीत द्वारा हनुमान जी पर नागपाश का वार किया जाता है। हनुमान जी नागपाश में बंधकर दशानन की सभा में जाते हैं। जहा सेनापतियों व महामंत्रियों द्वारा अंकेश से कहा जाता है कि इस विचित्र वानर को मारी मल इसकी प्रिय पूंछ में आग लगाकर इसको अग-भंग कर दी।

दशानन के आदेश पूछ में कपड़ा व रूई लपेट कर आग लगा दी जाती है। लंका का समस्त घी व तेल हनुमान जी की पूंछ के कपड़े व रूथों में समाप्त हो जाता है। हनुमान जी द्वारा रामत्त लंका में आग लगा दी जाती है। पूरी लंका जल जाती है। हनुमान जी समुद्र में शूद कर अपनी पूंछ की आग बुझाते हैं और इसके बाद माता जानकी से मिलते है व उनकी चुदाममि लेकर विदा होते हैं। प्रभू श्री राम को चूडामणि दिखाते है और माता जानकी की दशा बताते है।

देहि बिसाल परम हरुआई। मन्दिर ते मन्दिर चढ़ धाई। जरइ नगर भा लोग बिहाला। झपट लपट बहु कोटि कराला।

आज की लीला में महाराज दशानन की लंका सुसज्जित सजी हुई है। लंका में चार पिलर लगे हैं तथा इसके चार स्वर्ग प्रवेश द्वार है जिन पर पहरेदार पहरा दे रहे है। लंका में अंदर आतिशबाजी लगाई गई है। आतिशबाजी का मुख्य आकर्षण लंका दहन के समय लंका में से आग के गोले निकलेंगे।

आज रामलीला मैदान में उतर भारत की ऐतिहासिक रामलीला में संका दहन की लीला के अवसर पर आगरा के वात्मिक समाज द्वारा मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्री राम की आरती की गई साथ ही आग में गौरव में संख्या चार्टर्ड अकाउंटेंट एम्रोसिएशन द्वारा आगरा इलेक्ट्रिक एसोशिएशन द्वारा वैचारिक जागरण मिशन ट्रस्ट द्वारा मर्यादा पुरुषो गवान श्रीराम की कमल चौधरी, साती गुरु जााल रिसा, अर्जुम सिंह बिल्लू राम, रोहित, प्रतीभा जिन्दल अनुभा उपाध्याय दीपीका पौरल, मधुयाला, रिया द्वारा आरती की गयी।

इस अवसर पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विधायक लिवाल मंत्री राजीव अग्रवाल ही एन अग्रवाल,  भगवान दास बंसल  विष्णु व्याल बंसल, ताराचंद ,मुकेश जोहरी विनोद जौहरी  अजुन बबल प्रवीन गर्ग, महेश चन्द्र गिरधर शरण  आयुष आम्रवाल थी रडत बसल श्री राम राहुल शर्मा राहुल गौतम राक जैन आलोक और प्रवीन स्वरुन मुख्य रूप से उपस्थित थे। मीडिया प्रभारी राहुल गौतम द्वारा बताया गया कि दिनाक 08 अक्टूबर, 2024 को विभीषण शरण गति एवं सेतु बाधना, अंगद रावण राधाद की लीला होगी।

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