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14 वर्षीय नाबालिग को हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की इजाजत, कहा- बलात्कारी के बच्चे को जन्म देना शारीरिक, मानसिक आघात

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ ने बलात्कार पीड़िता 14 साल की नााबालिग को गर्भपात की अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट जस्टिस विनय सराफ की सिंगल बैंच ने मानवीय आधार पर केस को दुर्लभतम मामला बताते हुए बलात्कार की पीड़ित 14 वर्षीय नाबालिग के 28 सप्ताह के गर्भ के समाप्ति की अनुमति प्रदान कर दी है। क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं।

14 वर्षीय नाबालिग को हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की इजाज

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रेप पीड़िता अभी महज 14 साल की है, इस उम्र में बच्चे को जन्म देना उसके लिए जोखिम भरा है और ये उसके लिए मानसिक, शारीरिक एवं सामाजिक आघात जैसा है। लिहाजा डॉक्टरों की एक्पर्ट टीम की देख रेख और निगरानी में उसका गर्भपात करवाया जाए।

रिश्तेदार ने नाबालिग के साथ की थी दरिंदगी

दरअसल पूरा मामला नर्मदापुरम के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली 14 साल की नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटना से जुड़ा है। पीड़िता के साथ रिश्तेदार ने ही दरिंदगी की, जिससे वह गर्भवती हो गई। घटना की रिपोर्ट पीड़िता एवं उसके पिता ने बैतूल में दर्ज कराई थी, जिस पर बैतूल पुलिस ने शून्य में प्रकरण दर्ज कर केस को नर्मदापुरम ग्रामीण पुलिस थाना में स्थानांतरित कर दिया था।

महज 14 साल में बच्चे का जन्म एवं लालन पालन मुश्किल

दरअसल, पीड़िता के पिता ने पुलिस थाने में गर्भपात के लिए आवेदन देकर मांग की थी कि उसकी बेटी महज 14 साल की है। ऐसे में न तो वह बच्चे को जन्म दे सकती है और न ही बलात्कारी के बच्चे का पालन पोषण करने की शारीरिक मानसिक स्थिति में है। पीड़िता एवं उसके पिता के आवेदन को नर्मदापुरम पुलिस ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की कानूनी सहायता समिति के पास आवेदन भेजा, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट के सामने पेश किया गया।

एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम से ली गई मेडिकल रिपोर्ट

वहीं, इस पूरे मामले में हाईकोर्ट जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “चिकित्सा प्रक्रिया से गर्भावस्था समाप्ति में जटिलताएं हो सकती हैं, लेकिन गर्भावस्था को जारी रखना और 14 साल की लड़की द्वारा बच्चे को जन्म देना भी जोखिम से भरा है।”

28 सप्ताह और 6 दिन की गर्भवती है पीड़िता

ऐसे में हाईकोर्ट के निर्देश पर पीड़िता की मेडिकल जांच के लिए गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के डीन की निगरानी में डॉक्टरों के गठित एक विशेषज्ञ पैनल से जॉच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे, इसमें 8 सदस्यीय डॉक्टरों के पैनल ने कोर्ट में जो रिपोर्ट पेश उसमें कहा गया था कि नाबालिग पीड़िता 28 सप्ताह और 6 दिन की गर्भवती है। मेडिकल बोर्ड द्वारा सामान्य परिस्थितियों में 20 सप्ताह और असाधारण मामलों में 24 सप्ताह तक ही गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जाती है।

पीड़िता की शारीरिक, मानसिक और मनोदशा को ध्यान में रखा

हाईकोर्ट जस्टिस विनय सराफ की सिंगल बेंच ने मामले में पीड़िता की उम्र और परिजनों के साथ साथ पीड़िता की मनोदशा को ध्यान में रखा। इसके साथ ही पीड़िता के माता-पिता द्वारा उनकी बेटी के इतनी कम उम्र में बच्चे को जन्म देने और लालन पालन की मुश्किलों से अवगत कराया गया। जस्टिस विनय सराफ ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्ववर्ती आदेशों का हवाला देते हुए नाबालिग 14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के गर्भपात की अनुमति प्रदान कर दी है। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि चिकित्सा प्रक्रिया से गर्भपात के लिए डॉक्टरों की विशेष टीम गठित की जाए और ऑपरेशन के दौरान पूरी एहतियात बरती जाए, जिससे नाबालिग के ऊपर कोई संकट न आए।

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