कौन हैं जिंदा शाह मदार कहां हुई पैदाइश कब हुआ विसाल जानिए आपका शिजरा और क्या है करामात करिए ख़बर क्लिक November 9, 20240
आगरा। मशहूर ताबई हुजूर जिन्दा शाह कुतबुल मदार की मुक्तसर मालूमात एक नजर में उर्से शरीफ़ 17 जमादिल अव्वल आपका पूरा नाम सैयद बदीउद्दीन अहमद लक़ब कुल्बुल मदार, ज़िंदा शाह मदार, कुल्बुल इरशाद, मदारे आलम, शम्सुल अफ़लाक़, मदारूल आलमीन, ज़िन्दाने सूफ, जुब्दतुल आरेफ़ीन, सुल्तानुल फुक़रा, वग़ैरह कुत्रियत : अबू तुराब वालिदे गिरामी : सैयद काजी किदवतुद्दीन अली हलबी रज़ियल्लाहु अन्हु वालदाह माज़ेदा : सैयदा फ़ातेमा सानिया उर्फ फातेमा तबरेज़ी रज़ियल्लाह अन्हा
हसब ओ नसब आप नजीब्त्तरफैन हसनी हसैनी सैयद है। वालिद-ए-गिरामी की तरफ से शजरा-ए-नसब सिर्फ 10 वास्तों से
सैयदुश्शोहदा हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हुमा से,
जबकि वालेदा माजेदाह की तरफ से सिर्फ 9 वास्तों से
हज़रत इमाम हसन रज़ियल्लाह अन्हुमा से मिलता है।
ये हैं आपके उस्ताद शैख कबीर हज़रत सैयदना हुजैफा मरअशी शामी कुदूससिर्रंह के खिदमत में चौदह (14) साल की उम्र गुजार कर जुमला उलूमा फ़नून की तहसील फ़रमाई, नीज़ कुरान मुकद्दस क सा्थ-साथ कुतुब समाविया खुसूसन तौरात, इंजील, जबूर के आलिम व हाफ़िज़ हुए
ख़िलाफ़तो इज़ाज़त 259 हिजरी में सेहने बैतुल मुकद्दस में सुल्तानुल औलिया हजरत बायज़ीद बुस्तामी रजिअल्लाहु अन्हु से बैअत ओ इजाजत से मुशर्रफ हुए। और हज़रत सुल्तानुल आरेफीन बायज़ीद बुस्तामी ने आपको खिर्का-ए-खिलाफ़त व इज़ाज़त अता फ़रमाया। (जाफ़रिया तैफूरीया, बसरीया तैफूरीया, सिद्दीकीया तैफूरिया, में दाखिल फ़रमाया।
और आप फ़रीज़ाए हज के लिये रवाना हो गये। अरकाने हज से फ़ारीग होने के बाद, दुनिया व कोनेन के फरमा रवां हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम आलमे मिसाल में जलवा गर हुए। निगाहें नबूवत ने आप के सीना पाक को जलवाऐ हक का गहवारा बना दिया। इसी आलम में मौला-ए-कायनात हज़रत अली मुर्तजा रजियल्लाहु अन्हो तशरीफ़ फ़रमा हुए। हुक्मे रिसालत माब हुआ अली इस फ़रज़न्द सईद को उलूमो बातीन से मजीद सरफ़राज़ करो ।
ताज़दारे विलायत नें आगोशे रहमत में लेकर आप के कल्ब को विलायत आज़मी का मोहतमील बना दिया और बारगाहे रिसालत में पेश कर दिया। हुजूर अलैहि सलातो वस्सलाम
ने इस्लाम की हकीकी तालीम फ़रमा कर शरफ़ो उवैसियत से मुशरफ फ़रमाया और ओहदा-ए-मदारियत से सरफ़राज़ फ़रमाकर खलाईक में जब्रो कसर और अज़्लो नसब का मुख्तार बना दिया। कुत्बुल मदार, मदीना मुनव्वरा में हाज़िर हुए तो बरूहानियत हज़रत मुहम्मद मुस्तिफ़ा सल्लल्लाहों अलैहि व सल्लम ने अपने हुजरा-ए-खास में आप पर बाकमाल मेंहीबानियाँ अता फ़रमाई।
आप सन् 282 हिजरी में हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाए। हुजूर सैयदना बदीउद्दीन अहमद जिंदा शाह कुल्बुल मदार कुदसुसिरह उस वक्त हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाए जब यहां मुसलमानों का नामों निशान नहीं था। मोहम्मद बिन कासिम अलवी की कायम कर्दा हुकुमत ज़वाल पज़ीर हो चुकी थी।
(किताब तारिखे सलातीने शरकी शरकीया व सूफ़ीया-ए-जौनपुर)
ये हैं मुरीदीन
आपने तकरीबन 600 साल का तवील अरसा पाया, जिस में ला तादात मुरीदीन व मुतवस्सलिन हुए । जिन में – बादशाह इब्राहिम शर्की, मीर सदर जहाँ, अब्दुल क़ादीर अल मारूफ, शेख ज़मीरी बगदादी, बू अली रोदबारी, सैयद जानेमन जन्नती, सैयद सालार साहू गाजी, सैयद सालार मसूद गाज़ी, शेख
अहमद बिन मसरूक़ वरैरह शामिल है।