दत्तात्रेय हसबोले संघ के नए प्रमुख होंगे… जिजामाता ने सिखाया कि दृढ़ संकल्प से असंभव को भी संभव किया जा सकता है: डॉ. मोहन यादव
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पहली बार संघ प्रमुख मोहन भागवत के बाद संघ के किसी दूसरे बड़े व्यक्तित्व का नाम चर्चा में उभर गया है तो उनका नाम दत्तात्रेय हसबोले होना चाहिए। समझा जाता है कि कल दिनभर भोपाल में संघ के इस शिखर पुरुष की सक्रियता से भारतीय जनता पार्टी सरकार में संगठन और सत्ता में नौकरशाही के गलियारों में अजीब सी बैचेनी थी। सबने यह माना कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के रिटायर होने के बाद यदि उनकी जगह यदि दत्तात्रेय हसबोले ले लें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हालांकि दत्तात्रेय हसबोले ने जिजामाता सम्मान समारोह में युवाओं को संबोधित करते हुए केवल इतना ही कहा था कि जिजा माता ने ही शिवाजी को छत्रपति शिवाजी महाराज बनाया और आज के युवाओं को जिजामाता की भूमिका और उनकी पृष्ठभूमि से प्रेरणा लेने की जरूरत है। इस अवसर पर रवीन्द्र भवन में रविवार को आयोजित जिजामाता सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जिजामाता ने हमें यह सिखाया कि दृढ़ संकल्प और साहस के साथ असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। जिजामाता सम्मान समारोह महिला सशक्तिकरण और समाज में उनके योगदान को सम्मानित करने के उद्देश्य से ही किया गया है। जब कोई खिलाड़ी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में मेडल हासिल करता है, तो यह सिर्फ उस खिलाड़ी के परिश्रम ही नहीं, वरन् उस खिलाड़ी को तैयार करने में त्याग, बलिदान, समर्पण, साधना, भावना, अश्रु और परिश्रम की बूंदें बहाने वाली माता का भी अहम योगदान होता है। भारत को भारत बनाने में और खिलाड़ी को खिलाड़ी बनाने में नारी की भूमिका सर्वोपरि है। परिवार संतान की पहली प्रशिक्षण शाला होती है और माताएं यह काम बखूबी करती हैं। उनका सम्मान कर हम स्वयं गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। समाज और सरकार का खेल और खिलाडिय़ों के प्रति सहयोगी दृष्टिकोण बेहद जरूरी है। हम इसी दिशा में काम कर प्रदेश में सभी खेलों के विकास और खिलाडिय़ों को समान अवसर देने के लिए प्रयासरत हैं। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, सहकारिता एवं खेल मंत्री विश्वास कैलाश सारंग को राजनैतिक सूझबूझ के लिए यदि निपुणता से नवाजा जाए तो चौंकिएगा मत, लेकिन चौंकिएगा जब जिस दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत के विकल्प के रूप में संघ के दूसरे शिखर के व्यक्तित्व दत्तात्रेय हसबोले को संघ प्रमुख चुन लिया जाए।