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आविष्कार की क्षमता हमारे देश की मिट्टी में है, 2030 तक भारत होगा ड्रोन हब: सिंधिया

ग्वालियर, मध्य प्रदेश  ग्वालियर के विकास की बात, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ की थीम पर आधारित दो दिवसीय ग्वालियर विज्ञान महोत्सव का आयोजन ट्रिपल आईटीएम संस्थान में सम्पन्न हुआ। इस महोत्सव में 32 विद्यालयों के कक्षा 8वी से 11वी के छात्र-छात्राओं ने बड़े ही हर्ष और उमंग के साथ भाग लिया। केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस महोत्सव के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। भारत माता को दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इसके बाद विज्ञान भारती मंत्र से कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया। इसके बाद विज्ञान भारती के सदस्यों द्वारा कार्यक्रम में पधारे अतिथियों को पुष्प – गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत एवं अभिवादन किया गया। इस दो दिवसीय महोत्सव में कुल चार सत्र आयोजित किए गए। जिनमें अभ्योदय, विज्ञानोत्री, मंथन, हैंड्सऑन एक्टिविटी शामिल थे।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने कार्यक्रम में मौजूद समस्त छात्र – छात्राओं एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि शायद ही ऐसा देश या विदेश में ग्वालियर जैसा शहर होगा जहाँ विज्ञान और अध्यात्म के बीच संगम, संगीत और कला के बीच संगम, इतिहास और विरासत का भविष्य के साथ संगम देखने को मिलता होगा। जिसके आधार पर भारत का भविष्य बसा है। उन्होंने कहा कि जल हो, थल हो, अंतरितक्ष हो, तीनों की क्षमता भारत में विज्ञान पर आधारित है। यह विज्ञान ही है जिसकी वजह से भारत का तिरंगा चाँद पर फहराया गया है। श्री सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनके उभरी है। दो साल के अंदर भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। पूरे विश्व भर में भारत राज करेगा और इस सफलता की जड़ और पूँजी ग्वालियर शहर में है। उन्होंने कहा कि विरासत को वर्तमान से जोड़कर भविष्य के नव निर्माण का कार्य किया जा रहा है और इस कार्य में विज्ञान भारती की बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अविष्कारों की क्षमता हमारे देश की मिट्टी में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत को 2030 में ड्रोन हब के रूप में विकसित किया जायेगा। चाहे स्वदेशी वैक्सीन का निर्माण हो या ऑटो मोबाइल एवं मोबाइल सेक्टर हो, विज्ञान के क्षेत्र में भारत अपना परचम लहरा रहा है। उन्होंने इस बीच बच्चों से ग्वालियर किले का वैज्ञानिक महत्व जाना एवं उनसे चर्चा की।

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