यहां दिन में तीन अलग-अलग रूप दिखाते हैं हनुमानजी, तालाब से निकली थी प्रतिमा
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में ग्वालियर शहर से लगभग 45 किलोमीटर दूर घाटीगांव स्थित धुएं की हनुमान मंदिर की प्रतिमा की महिमा बड़ी निराली है। बताया जाता है कि यहां पर विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा हर रोज दिन में तीन बार अलग-अलग रूपों में दर्शन देती है। मंदिर के पुजारी के अनुसार सुबह 4:00 बजे से 10:00 बजे तक हनुमान जी की प्रतिमा बाल रूप में रहती है। इसके बाद सुबह 10:00 बजे से सायं 6:00 तक यह युवा रूप में एवं इसके बाद पूरी रात हनुमानजी की प्रतिमा वृद्ध रूप में दिखाई देती है।
जिस तालाब से निकली थी प्रतिमा, उसमें कभी नहीं सूखता पानी
इन तीनों स्वरूप वाले चमत्कारी हनुमान मंदिर में बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। स्थानीय लोगों की माने तो धुँआ के हनुमान मंदिर में विराजी हनुमान जी की प्रतिमा बहुत ही दुर्लभ है। ऐसी प्रतिमा अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती है। यह भी बताया जाता है कि हनुमान मंदिर में विराजित प्रतिमा सैंकड़ों साल पहले बने पुराने तालाब से निकली थी। इस तालाब की खास बात यह है कि इस तालाब का पानी कभी नहीं सूखता है।
नारियर और चावल से लगती है हनुमान जी की अर्जी
धुंआ के चमत्कारिक हनुमान मंदिर में जिस भी श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है, वह मंदिर (Ghatigaon Hanuman Mandir) में जाकर पीतल का घंटे अर्पित करता है। भक्तों के द्वारा अपनी मनोकामना के लिए एक लाल कपड़े में नारियल व चावल लगकर मंदिर में हनुमान जी के सामने अर्जी लगाई जाती है और अर्जी पूरी होने पर भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार यहां पर धर्म-पुण्य करते हैं
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में ग्वालियर शहर से लगभग 45 किलोमीटर दूर घाटीगांव स्थित धुएं की हनुमान मंदिर की प्रतिमा की महिमा बड़ी निराली है। बताया जाता है कि यहां पर विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा हर रोज दिन में तीन बार अलग-अलग रूपों में दर्शन देती है। मंदिर के पुजारी के अनुसार सुबह 4:00 बजे से 10:00 बजे तक हनुमान जी की प्रतिमा बाल रूप में रहती है। इसके बाद सुबह 10:00 बजे से सायं 6:00 तक यह युवा रूप में एवं इसके बाद पूरी रात हनुमानजी की प्रतिमा वृद्ध रूप में दिखाई देती है।
जिस तालाब से निकली थी प्रतिमा, उसमें कभी नहीं सूखता पानी
इन तीनों स्वरूप वाले चमत्कारी हनुमान मंदिर में बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। स्थानीय लोगों की माने तो धुँआ के हनुमान मंदिर में विराजी हनुमान जी की प्रतिमा बहुत ही दुर्लभ है। ऐसी प्रतिमा अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती है। यह भी बताया जाता है कि हनुमान मंदिर में विराजित प्रतिमा सैंकड़ों साल पहले बने पुराने तालाब से निकली थी। इस तालाब की खास बात यह है कि इस तालाब का पानी कभी नहीं सूखता है।
नारियर और चावल से लगती है हनुमान जी की अर्जी
धुंआ के चमत्कारिक हनुमान मंदिर में जिस भी श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है, वह मंदिर में जाकर पीतल का घंटे अर्पित करता है। भक्तों के द्वारा अपनी मनोकामना के लिए एक लाल कपड़े में नारियल व चावल लगकर मंदिर में हनुमान जी के सामने अर्जी लगाई जाती है और अर्जी पूरी होने पर भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार यहां पर धर्म-पुण्य करते हैं
इसलिए पड़ा धुआं के हनुमानजी नाम
चमत्कारिक धुआं हनुमान मंदिर के पुजारी ने बताया कि घाटी गांव में स्थित इस मंदिर के आसपास बड़ी मात्रा में अस्त्र-शस्त्र बनाए जाते थे। शस्त्रों के निर्माण के समय यहां भारी मात्रा में धुआं उठता था तभी से इस चमत्कारिक मंदिर का नाम धुँआ के हनुमान पड़ा। इस मंदिर की एक विशेषता और भी है कि इस चमत्कारिक हनुमान मंदिर की प्रतिमा पर कभी सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है।
इसलिए नहीं चढ़ाया जाता है प्रतिमा पर सिंदूर
धुआँ के हनुमान मंदिर पर सिंदूर और चोला कभी नहीं चढ़ाया जाता है। इसके पीछे की वजह बताई जाती है कि आज से करीब 25 वर्ष पूर्व हनुमान जी के ऊपर लगी टीन शेड पर वेल्डिंग का काम चल रहा था। इस दौरान वेल्डिंग से कुछ अंगार प्रतिमा पर आ गिरे जिससे उस चमत्कारिक हनुमान प्रतिमा में फफोले से उठ आए। तभी से ही यहां सिंदूर और चोला नहीं चढ़ाया जाता। इस प्रतिमा में सबसे बड़ी खासियत यह है कि अगर गौर से इस प्रतिमा को देखा जाए तो प्रतिमा में शरीर जैसी नसें साफ दिखाई देती हैं।