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ये पानी हमारा खून है, पाकिस्तान को नहीं देंगे : जनरल मुबीन

काबुल  भारत के बाद अब अफगानिस्तान भी पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी को रोकने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। तालिबान सरकार कुनार नदी पर एक बड़ा डैम बनाने की योजना पर काम कर रही है। तालिबान आर्मी के जनरल मुबीन ने हाल ही में डैम निर्माण स्थल का दौरा किया और इसे अफगानिस्तान के लिए ‘जीवन रेखा’ बताया। जनरल मुबीन ने दौरे के दौरान कहा, ‘यह पानी हमारा खून है। हम अपने खून को यूं ही नहीं बहने दे सकते।’ उन्होंने तालिबान सरकार से डैम निर्माण के लिए जरूरी धनराशि मुहैया कराने की अपील भी की। डैम निर्माण से अफगानिस्तान में 45 मेगावाट बिजली उत्पादन की उम्मीद है और लगभग 1.5 लाख एकड़ भूमि को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। तालिबान के जल और ऊर्जा मंत्रालय के प्रवक्ता मतीउल्लाह आबिद ने बताया कि प्रोजेक्ट का सर्वे और डिज़ाइन तैयार हो चुका है, लेकिन निर्माण कार्य के लिए आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है। पाकिस्तान पहले ही भारत द्वारा सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार और चिनाब नदी पर बनाए जा रहे डैमों से जल आपूर्ति में हो रही कटौती को लेकर दबाव में है। अब कुनार नदी पर प्रस्तावित डैम के कारण उसकी चिंताएं और बढ़ गई हैं। 480 किलोमीटर लंबी कुनार नदी अफगानिस्तान के हिंदूकुश पर्वतों से निकलती है और पाकिस्तान में जलालाबाद के पास काबुल नदी में मिलती है। यह पाकिस्तान के लिए एक प्रमुख जलस्रोत है, लेकिन दोनों देशों के बीच इस नदी के जल बंटवारे को लेकर कोई औपचारिक समझौता नहीं है। पाक मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार, डैम बनने से काबुल नदी के प्रवाह में 16 से 17 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जिससे पाकिस्तान की कृषि और जलापूर्ति प्रणाली प्रभावित होगी। भारत अफगानिस्तान में पहले से ही कई जल परियोजनाओं में मदद कर रहा है। भारत द्वारा निर्मित सलमा डैम (2016) के बाद अब शहतूत डैम पर काम चल रहा है, जिसके लिए भारत 236 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता दे रहा है। यह डैम 20 लाख लोगों को पीने का पानी और 4,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का साधन देगा। हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और तालिबान के विदेश मंत्री के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। इस दौरान शहतूत डैम प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई और इसे तेजी से आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। पानी को लेकर दक्षिण एशिया में बदलता भू- राजनीतिक परिदृश्य अब पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय बन गया है। जहां भारत पहले ही सिंधु जल संधि को लेकर सख्ती दिखा रहा है, वहीं अब अफगानिस्तान का यह कदम पाकिस्तान की जल सुरक्षा को नई चुनौती देता नजर आ रहा है।

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