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भारतीय वैदिक ज्ञान-विज्ञान शिक्षा प्रणाली ने किया दुनिया का मार्ग प्रशस्त

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि वेदों में भारतीय वैदिक ज्ञान-विज्ञान का अथाह ज्ञान समाहित है। वेदों में वर्णित ज्ञान प्रमाणिकता के साथ उपलब्ध है। भारतीय वैदिक ज्ञान-विज्ञान शिक्षा प्रणाली ने दुनिया का मार्ग प्रशस्त किया है। शुक्रवार को संस्कृत विभाग के सभागार में आयोजित गुरुकुल कांगड़ी व भक्ति वेदांत संस्थान कलकत्ता की ओर से हुए तीन दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कुलाधिपति ने कहा कि दुनिया को विज्ञान व वैदिक संस्कृति ज्ञान को समझने के लिए वेदों की ओर लौटना होगा।भारतीय मनीषियों ने हजारों साल पूर्व अपनी ज्ञान परंपरा से दुनिया को ज्ञान व विज्ञान का मार्ग दिखाने का काम किया है। वर्तमान दौर में दुनिया के विभिन्न बड़े-बड़े अनुसंधान केंद्र भारतीय ज्ञान-विज्ञान को अपना आधार मानकर अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। दुनिया को विश्व शांति व वैज्ञानिक पद्धति के विकास के लिए भारतीय वैदिक ज्ञान शिक्षा प्रणाली का गहनता से अध्ययन करना होगा। जिससे वह विश्व कल्याण की दिशा में आगे बढ़ सकें।
भक्ति वेदांत संस्थान के अध्यक्ष के वासुदेव राव ने कहा कि उनका संस्थान ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में जागरूकता अभियान चला समाज को जागरूक करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है।

इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अंबुज शर्मा, कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार, पूर्व कुलपति प्रो.सोमदेव शतांशु, प्रो.श्रवण कुमार शर्मा, प्रो. ब्रहमदेव, प्रो.सुचित्रा मलिक, प्रो. नमिता जोशी. प्रो डीएस मलिक, डॉ. अजेंद्र, डॉ. नीतिन कांबोज, डॉ. धर्मेंद्र बालियान आदि मौजूद रहे

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