Fri. Nov 22nd, 2024

एमपी। नर्मदापुरम में कैंसर का कहर, 3 साल में बढ़े 700% कैंसर पेशेंट; जानिए कैंसर पेशेंट्स की बढ़ती संख्या के पीछे वजह – देखें VIDEO

मेरे पिता और चाचा दोनों की पिछले डेढ़ साल में कैंसर से मौत हो गई। दोनों खेतों में दवा छिड़कने का काम करते थे। 3 महीने बीमार रहे। फिर अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि उन्हें कैंसर हो गया था।ये बताने वाले बांद्राभान के 32 साल के सुरेश खुद भी कैंसर के मरीज हैं।

कैंसर से वे हार मान चुके हैं। दवाएं बंद कर दी है। कहते हैं कि जिंदगी के आखिरी दिनों में वे दवा से दूर रहना चाहते हैं। वे खुद भी कई सालों से खेतों में मजदूरी करते रहे हैं। इस दौरान कई बार दवाएं छिड़कने का काम करते रहे हैं।

लेकिन नर्मदापुरम में ये अकेले सुरेश की कहानी नहीं है, यहां गांव-गांव में ऐसी ही कहानियां हैं। क्या खेतों में छिड़की जा रही दवा और कैंसर का सीधा कनेक्शन है?

जिला अस्पताल के डॉ. संजय पुरोहित इसका जवाब देते हुए कहते हैं कि जब भी कोई कैंसर मरीज अस्पताल में आता है, तो उससे बात करने पर पता चलता है कि वह खेतों में लंबे समय तक जहरीले कीटनाशक का छिड़काव करता आया है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) भोपाल की रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में नर्मदापुरम जिले के 228 कैंसर पेशेंट एम्स में रजिस्टर हुए थे। मई 24 तक यहां मरीजों की संख्या बढ़कर 1759 हो गई है।

बांद्राभान में क्लिनिक चलाने वाली राजकुमारी मीणा से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया, ‘मुझे यहां क्लिनिक शुरू किए केवल 4 महीने हुए हैं। इस गांव में लगभग 700 लोग हैं, लेकिन यहां 5 से 7 लोगों को कैंसर है। 3- 4 लोगों की कैंसर से मौत हो चुकी है और हर  तीसरा आदमी य हां किसी न किसी बीमारी का मरीज है। इतने छोटे गांव में इतने बीमार लोग हैं, ये देखकर ही मुझे ताज्जुब होता है।’

नर्मदापुरम में कैंसर पेशेंट्स की संख्या में बढ़ोतरी की क्या वजह है।नर्मदापुरम के शहरी और ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोगों के साथ एक्सपर्ट से भी बात की। बात करने पर तीन बातें समझ आईं

कैंसर पेशेंट की संख्या गांवों में ज्यादा बढ़ रही हैकिसान खेतों में कीटनाशक का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।मूंग की फसल को सुखाने के लिए किसान पैराक्वाट डाइक्लोराइड का इस्तेमाल कर रहे हैं जो खरपतवार को सुखाने के काम आता है।

अब क्या ये सभी बातें कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ा रही है? एक्सपर्ट की माने तो पेस्टिसाइड्स का बहुत ज्यादा इस्तेमाल इसकी वजह हो सकता है। जब से पैराक्वाट डाइक्लोराइड की खपत बढ़ी है कैंसर पेशेंट की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। आखिर पेराक्वाट डाइक्लोराइड का इस्तेमाल किसान क्यों कर रहे हैं, इसके इस्तेमाल से क्या नुकसान है, क्या पेराक्वाट का इस्तेमाल मूंग की फसल में किया जा सकता है

पिछले कुछ सालों से गर्मी में मूंग की फसल की बुआई का प्रचलन बढ़ गया है। इसका रकबा भी साल दर साल बढ़ता जा रहा है। मूंग का समर्थन मूल्य 8 हजार रु. प्रति क्विंटल है, इसलिए ये नर्मदापुरम के किसानों के लिए करीब 2 हजार करोड़ की आय का अतिरिक्त जरिया है। 2019 में नर्मदापुरम जिले में मूंग की फसल का रकबा 91 हजार हेक्टेयर था जो 2024 में 3 गुना से ज्यादा बढ़कर करीब 2.95 लाख हेक्टेयर हो गया। साल 2023 में नर्मदापुरम जिला देश का सबसे ज्यादा मूंग उत्पादित जिला बन गया था। देश के 12 फीसदी मूंग का उत्पादन केवल नर्मदापुरम के किसानों ने ही किया था।

दूसरा पहलू- मूंग की फसल सुखाने इस्तेमाल किया जा रहा प्रतिबंधित केमिकल

 जब नर्मदापुरम के गांवों में पहुंची तो मूंग की फसल पक कर पूरी तरह से तैयार थी। कोई भी फसल जब पक कर पूरी तरह से तैयार हो जाती है तो इसे काटा जाता है। बाद में इससे दाना निकाला जाता है। लेकिन ग्रीष्म कालीन मूंग की फसल को काटा नहीं जाता बल्कि सुखाया जाता है।

कृषि विभाग के उप संचालक डॉ. जे आर हेड़ाऊ बताते हैं कि मूंग एक समर क्रॉप हैं। मार्च के आखिर में जब गेहूं की फसल कट जाती है तो अप्रैल के पहले हफ्ते में मूंग की फसल बोई जाती है। इसके पकने में केवल 60 दिन का समय लगता है।फसल 15 जून के आसपास पूरी तरह से पक कर तैयार हो जाती है। अब इसे काटने की जहमत उठाने की बजाय किसान एक केमिकल के जरिए इसे सुखा देते हैं। 24 घंटे में फसल सूख जाती है और दूसरे ही दिन किसान दाना निकाल लेते हैं।

किसान ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि 15 जून के आसपास मप्र में मानसून दस्तक दे देता है। बांद्राभान के किसान श्याम कहार कहते हैं कि यदि ऐसा नहीं करेंगे तो बारिश में फसल बर्बाद हो जाएगी। डोलरिया गांव के रहने वाले दिनेश ने इस बार 60 एकड़ में मूंग बोया है।

दिनेश कहते हैं कि एक एकड़ में एक लीटर दवा का छिड़काव करना पड़ता है। इस तरह मुझे फसल सुखाने के लिए 60 लीटर दवा का छिड़काव करना पड़ेगा। भास्कर की टीम जब ये रिपोर्ट तैयार कर रही थी तब दिनेश फसल सुखाने की तैयारी कर रहे थे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *