27 फरवरी से शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के जरिए बड़ी ताकत दिखाने की तैयारी, टिकैत अब तक कर चुके हैं कई सभाएं
एक बार फिर से किसान आंदोलन को तेज करने की तैयारी हो गई है। जिसका असर शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर 27 फरवरी से दिखना शुरू हो सकता है। किसान नेताओं ने 27 फरवरी को शाहजहांपु-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों को पहुंचने का आह्वान किया है। वहीं, मार्च में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की कई किसान सभाएं होंगी। मतलब, अब राजस्थान के किसानों को किसान आंदोलन से जोड़ने की रणनीति आगे बढ़ने लगी है।
राकेश टिकैत क कहां-कहां होंगी राजस्थान में सभा
- झुंझुनूं में 2 मार्च
- नागौर में 3 मार्च
- जाेधपुर पीपाड़ में 12 मार्च
- जयपुर विद्याधर नगर में 23 मार्च
टिकैत से जुड़ेंगे किसान
किसान आंदोलन के नेताओं का मानना है कि राकेश टिकैत को ज्यादा से ज्यादा किसानों से रू-ब-रू कराया जाए। तभी राजस्थान का किसान आंदोलन से अधिक जुड़ सकेगा। हाल में भी राकेश टिकैत की अलवर, सीकर सहित कई जगहों पर बड़ी किसान चौपाल हो चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में किसान आए। इसके बाद मार्च में भी राजस्थान में टिकैत की सभाएं कराने का निर्णय किया गया है। इसके पीछे यही बड़ा मकसद है कि राजस्थान के किसानों को सक्रिय रूप से आंदोलन से जोड़ा जाए।
योगेन्द्र यादव ने कहा- असली राष्ट्रवाद दूसरे के सुख दुख में शामिल होना
किसान आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल योगेन्द्र यादव कहा कि असली राष्ट्रवाद टीवी पर बैठकर पाकिस्तान को गाली देना नहीं बल्कि एक दूसरे के सुख दुख में खड़े होना है। दक्षिण भारत के किसान भी इतनी दूर चलकर शाहजहांपुर हरियाणा बॉर्डर पर आए हैं। इसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र के किसान भी आते रहे हैं।
शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर 2 दिसम्बर से आंदोलन
कृषि कानूनों के विरोध में शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर दो दिसम्बर से किसानों का आंदोलन जारी है। 12 दिसम्बर से नेशनल हाइवे 48 पर किसान पड़ाव डाले हुए हैं। पहले हाइवे की एक लेन पर किसानों के तम्बू लगे रहे। 25 दिसम्बर से हाइवे की दोनों प्रमुख लेन पर किसान हैं। उनके तम्बू लगे हुए हैं। केवल एक सर्विस लेन चालू है। जिसके जरिए विशेष जरूरत वाले आसपास के गांवों के वाहन निकलते हैं।
कांग्रेस के नेता भी सक्रिय
शाहजहांपुर हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के साथ अलवर जिले के कुछ कांग्रेस नेता भी सक्रिय हैं। समाज के पदाधिकारी भी किसानों की मदद में लगे हुए हैं। उनके रहने व खाने का इंतजाम करने में भी आगे रहते हैं। बॉर्डर पर आंदोलन को 75 दिन हो चुके हैं। अब फिर से किसानों को जोड़ने के लिए प्रदेश भर में किसान नेताओं की सभाएं होने लगी हैं।