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वजन का मैनेजमेंट खिलाड़ी-कोच की जिम्मेदारी उषा

नई दिल्ली। भारतीय ऑलंपिक संघ ( आई ओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने विनेश फोगाट ओवरवेट मामले में बयान दिया। उन्होंने कहा कि वजन का मैनेजमेंट करने की जिम्मेदारी खिलाड़ी और उसके कोच की होती है। इसके लिए मेडिकल टीम को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। खासकर कुश्ती, वेटलिफ्टिंग, मुक्केबाजी और जूडो जैसे खेलों में।
पीटी उषा ने आगे कहा कि आईओए मेडिकल टीम, खास तौर पर डॉ. पारदीवाला के प्रति जो नफरत भरी टिप्पणियां की जा रही है, वह अस्वीकार्य है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि आईओए मेडिकल टीम पर आरोप लगाने वाले लोग किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी तथ्यों पर विचार करेंगे। आईओए द्वारा नियुक्त चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. दिनशॉ पारदीवाला और उनकी टीम मुख्य रूप से एथलीटों के इवेंट दौरान और बाद में उनकी रिकवरी और इंजरी मैनेजमेंट में सहायता कर रही थी। इस टीम को उन एथलीटों की सहायता के लिए भी बनाया गया था, जिनके पास न्यूट्रिशनिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट की अपनी टीम नहीं थी। 50 कियोग्राम वर्ग कुश्ती के फाइनल मैच से पहले विनेश को 100 ग्राम ज्यादा वजन होने के चलते अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जबकि शुरुआती दौर से पहले किए गए वजन में विनेश 50 किग्रा वेट कैटेगरी की तय सीमा से कम थीं। ऐसे में विनेश ने जॉइंट सिल्वर मेडल की मांग की है। इस मामले में आईओए द्वारा नियुक्त मेडिकल टीम पर भी सवाल उठ रहे थे। विनेश फोगाट के सिल्वर मेडल पर फैसला आज शनिवार को आएगा। यह जानकारी शनिवार को कोर्ट ऑफ
आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) ने दी थी। शुरुआती जानकारी में 11 अगस्त को फैसला सुनाने की बात सामने आई थी, लेकिन इसे अब फिर 13 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया। 9 अगस्त को सीएएस ने 3 घंटे तक इस मामले की सुनवाई की थी। इस दौरान विनेश भी वर्चुअली मौजूद रहीं। भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से सीनियर वकील हरीश साल्वे ने विनेश का पक्ष रखा। वहीं विनेश के मामले में इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी के अध्यक्ष थॉमस बाक ने ‘क्या एक भार वर्ग में दो सिल्वर दिए जा सकते हैं?’ इस सवा पर कहा कि ‘नहीं, यदि आप सामान्य रूप से एक वर्ग में दो सिल्वर मेडय दिए जाने के बारे में पूछ रहे हैं। मुझे लगता है कि इंटरनेशनल फेडरेशन के नियम का पालन किया जाना चाहिए। वेट कट का फैसला यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग का था। यदि हम 100 ग्राम के साथ अनुमति देते हैं तो 102 ग्राम के साथ क्यों नहीं देंगे। अब यह मामला कोर्ट में है। अब हम सीएएस के निर्णय का पालन करेंगे।

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