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बेलाट्रिक्स प्रोजेक्ट 200: अंतरिक्ष में नई क्रांति 200 किमी ऊंचाई पर उपग्रह संचालन संभव

बेंगलुरु स्थित स्टार्ट-अप कंपनी बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने एक उन्नत उपग्रह का अनावरण किया है, जो पृथ्वी से केवल 200 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाएगा। यह उपग्रह ‘प्रोजेक्ट 200’ नामक एक नई परियोजना के तहत विकसित किया गया है, जिसे बेंगलुरु स्पेस एक्सपो 2024 में पेश किया गया। आमतौर पर, उपग्रहों को 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैनात किया जाता है ताकि वातावरण के खिंचाव से बचा जा सके। लेकिन बेलाट्रिक्स ने एक विशेष प्रोपल्शन तकनीक (प्रणोदन प्रणाली) विकसित की है, जिससे उपग्रह 200 किलोमीटर की निचली कक्षा में भी वर्षों तक सफलतापूर्वक काम कर सकेंगे। बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस के Co-founder और CEO, रोहन गणपति ने बताया कि इस नई प्रोपल्शन तकनीक की मदद से उपग्रह अब निचली कक्षा में वातावरण के प्रतिरोध से प्रभावित हुए बिना कई सालों तक काम कर सकते हैं। पहले, इस ऊंचाई पर तैनात उपग्रह कुछ ही दिनों के भीतर अपनी कक्षा से हट जाते थे। इस तकनीक की खासियत यह है कि इससे उपग्रह की ऑपरेटिंग लागत भी कम हो जाती है, जिससे अंतरिक्ष अभियानों में एक बड़ा बदलाव आएगा। इस नई कक्षा से उपग्रहों की कार्यक्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। संचार में देरी (latency) आधी रह जाएगी, जिससे डेटा तेजी से ट्रांसफर हो सकेगा। इसके अलावा, उपग्रहों से ली जाने वाली छवियों की गुणवत्ता तीन गुना बेहतर होगी, जो पृथ्वी अवलोकन और दूरसंचार जैसी सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाएगी। बेलाट्रिक्स के Co-founder और Chief Operating Officer (COO), यशस करनम ने बताया कि यह उपग्रह मौजूदा उपग्रह अनुप्रयोगों के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाएगा और साथ ही ऐसी नई संभावनाएं पैदा करेगा, जो पहले संभव नहीं थीं। उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट 200’ भविष्य की अंतरिक्ष क्षमताओं को दोबारा परिभाषित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने पहले भी ईंधन के रूप में पानी का उपयोग करके प्लाज्मा थ्रस्टर्स विकसित किए हैं, जो हरित और उच्च-प्रदर्शन वाली प्रणोदन प्रणालियां हैं। इस प्रोजेक्ट के साथ, कंपनी एक बार फिर से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नई ऊंचाइयों को छूने की तैयारी में है, जिससे उपग्रह संचालन और पृथ्वी अवलोकन में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है। यह बेलाट्रिक्स के लिए गर्व का क्षण था जब उन्होंने प्रोजेक्ट ISRO के चेयरमैन डॉ सोमनाथ के सामने प्रदर्शित किया।डॉ सोमनाथ इस तकनीक की नवाचार क्षमता और इसके अंतरिक्ष मिशनों पर संभावित प्रभाव से वास्तव में प्रभावित हुए, उन्होंने इसे अंतरिक्ष अभियानों में एक गेम- चेंजर के रूप में सराहा। इसके साथ ही, उन्होंने वैश्विक प्रदर्शनी में बेलाट्रिक्स के 20 हॉल इफेक्ट थ्रस्टर की विश्व-प्रथम लाइव फायरिंग का गवाह भी बना, जो उपग्रह प्रणोदन में कंपनी की विशेषज्ञता का एक अविश्वसनीय प्रमाण था।

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