जबलपुर कलेक्टर का निजी स्कूलों की मनमानी पर कड़ा रुख, बच्चे की सुरक्षा पर उठे सवाल
जबलपुर के एक निजी स्कूल में हाल ही में घटित घटना ने स्कूल प्रशासन की लापरवाही और रवैये पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तीन दिन पहले, स्कूल वैन से उतरते समय देव शर्मा नाम का छात्र गिर गया, जिससे उसकी नाक में गंभीर चोट आ गई। घटना के बाद देव के पिता रॉबिन शर्मा ने वैन ड्राइवर से बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल किया और इस लापरवाही पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। हालांकि, पिता की चिंता का समाधान करने की बजाय, स्कूल की प्रिंसिपल तिवारी मैम ने उल्टा देव के पिता को धमकी दी। उन्होंने कहा, ‘ड्राइवर के चार हाथ नहीं हैं कि वह सभी बच्चों का ध्यान रख सके। अगर आप हमारे स्टाफ से इस तरह सवाल करेंगे, तो हम आपके बच्चे को स्कूल से निकाल देंगे।’ यह बयान न केवल गैरजिम्मेदारी को दर्शाता है, बल्कि अभिभावकों के प्रति स्कूल प्रशासन की असंवेदनशीलता को भी उजागर करता है। देव के पिता रॉबिन शर्मा ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई और कहा कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना स्कूल और वैन स्टाफ की प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल प्रबंधन को अपनी जिम्मेदारियों को समझने और बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। बता दें कि इस घटना ने अन्य अभिभावकों के बीच भी चिंता पैदा कर दी है, जो यह पूछ रहे हैं कि स्कूल प्रशासन बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या ठोस उपाय कर रहा है। उल्लेखनीय है कि जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने पिछले एक साल से निजी स्कूलों की मनमानी और हठधर्मिता पर कड़ा रुख अपनाया हुआ है। इसके बावजूद कुछ स्कूल संचालक मनमानी फीस वसूलने, यूनिफॉर्म और किताबों के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाने जैसी गड़बडिय़ों से बाज नहीं आ रहे हैं। राष्ट्रीय हिंदी मेल के इस प्रतिनिधि से दूरभाष पर बातचीत में कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा, ‘मैंने पहले भी नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूल संचालकों पर कार्रवाई की है। अगर कोई स्कूल अब भी मनमानी करता है, पालकों को प्रताडि़त करता है, या अनावश्यक दबाव डालता है, तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखना जरूरी है। जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने स्पष्ट किया कि स्कूलों का मुख्य उद्देश्य शिक्षा देना है, न कि व्यावसायिक लाभ कमाना। उन्होंने चेतावनी दी कि जो स्कूल संचालक इस उद्देश्य से भटकते हैं और अभिभावकों को परेशान करते हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि इस पूरे वर्ष कलेक्टर ने कई स्कूलों पर मनमानी फीस वसूली और अन्य गड़बडिय़ों को लेकर कार्रवाई की थी। उनके इस कड़े रुख से अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है। इस मामले में अभिभावकों का कहना है कि कलेक्टर की यह सख्ती न केवल निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाएगी, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में अनुशासन और पारदर्शिता भी सुनिश्चित करेगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि जबलपुर कलेक्टर का यह अभियान इस बात को सुनिश्चित करने की दिशा में है कि स्कूल शिक्षा के मूल उद्देश्य को समझें और व्यावसायिक लाभ को प्राथमिकता न दें। बच्चों की सुरक्षा, उनकी शिक्षा और अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाए गए ये कदम निश्चित रूप से सराहनीय हैं।